पाश्चात्य जीवन शैली से हट कर भारतीय जीवन शैली का अनुकरण करना कितना लाभकारी – तरूण शर्मा।

भारतीय संस्कृति को विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृतियों में से एक माना जाता है। और आज भारत अपने इन्हीं अनूठे सांस्कृतिक मूल्यों की वजह से पूरे विश्व में जाना जाता है। किसी ने कहा है कि, “सभ्यता तो अनेक देशों के पास है परंतु भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास संस्कृति भी है।” और संस्कृति एवं सभ्यता के इसी अद्भुत संयोजन से हमारी भारतीय जीवन शैली विकसित हुई है। जिस वजह से इस अनोखी जीवन शैली का अनुकरण करना और अधिक ज़रूरी हो जाता है।

भारतीय जीवन शैली का अनुकरण करने के लाभ –

अयं निज:परोवेत्ति गणना लघुचेतसाम।
उदारचरितानाम तु वसुधैवकुटुम्बकम।।

अर्थात- यह मेरा है, यह पराया है इस प्रकार की गणना कम अक्ल वाले लोग करते हैं। उदार चरित्र वाले मनुष्यों के लिए तो पूरी पृथ्वी ही परिवार है।

इतनी विविधता के बावजूद भारत में लोग एकजुट हैं और अपनी संस्कृति और परंपरा पर गर्व महसूस करते हैं। चाहे अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह हो या सौंदर्य प्रतियोगिताएं, विश्व मंच पर भारत ने प्रतिभा और संस्कृति का प्रदर्शन किया है। कई शासक यहां आए लेकिन इसकी संस्कृति को नुकसान नहीं पहुंचा पाए। भारतीयों ने भी आज तक अपने सांस्कृतिक मूल्यों को सहेज कर रखा है। समय के साथ चलने और लचीलेपन के कारण भारतीय जीवन शैली वास्तव में आधुनिक और स्वीकार्य भी है।

तरुण शर्मा

तरुण शर्मा (लेखक हिन्दी भाषा अभियानी हैं।)

 

 

Pashchatya jivan shelly se hat kar bhartiye jivan shelly ka anukaran karna kitna labhkari – Tarun Sharma

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