दातुन : निरोग और सुंदर दांतों के लिए जरूरी

क्या आपके दांतों में दर्द है ? क्या आपके टूथपेस्ट में नमक है? ऐसा पूछते आपने टी.वी में सुना होगा. हम आपसे ऐसा कुछ नहीं पूछेंगे, बल्कि आपको यह बताएंगे कि अपने दांत का ध्यान कैसे रख सकते हैं. यकीन मानिए, दांत और दातुन का गुणकारी संबंध बहुत पुराना है. असल में, दातुन शब्द में गांव की मिट्टी की खुशबू है. एक तरह का अपनापन है. चाहते हैं दांतों की अच्छी देखभाल तो दातुन से नाता जोड़िए.

हम उसी दातुन की बात कर रहे हैं, जो पेड़ों की पतली टहनियों को तोड़कर बनाईं जाती है. दातुन भारत की सभ्यताओं में से एक है. जब भी त्योहार आते हैं और व्रत रखा जाता है, तो हम दांत साफ करने के लिए दातुन का इस्तेमाल करते हैं. दुर्गा पूजा, छठ पूजा, जन्माष्टमी जैसे तीज-त्योहारों के व्रत में दातुन का उपयोग करते हैं. कहा जाता है कि प्लास्टिक वाले ब्रश को हम हर दिन इस्तेमाल करके उसे धोकर रख देते हैं, इसलिए वह जूठा रहता है. वहीं, दातुन हम इस्तेमाल करते हैं और फंेक देते हैं. इस वजह से हर दातुन पवित्र माना जाता है.

नीम, बबूल, अमरुद, आम, मकरा, धाक, मादक, गुलर, बेल ये कुछ ऐसे पेड़ हैं, जिनके दातुन बनाए जाते हैं. कहते हैं कि दातुन का उपयोग कर ही रहे हैं, तो ऐसे दातुन का इस्तेमाल करें, जो थोड़ी कड़वी हो. दातुन के इस्तेमाल से हमारे मसूढ़े मजबूत होते हैं. कफ खत्म होता है. दातों का दर्द और बदबू दूर भागता है. और तो और, दांत हमेशा मोतियांे जैसे चमकते रहते हैं.

क्या कहता है आयुर्वेद ?
आयुर्वेद कहता है, ‘दातुन सिर्फ हमारे दांतों को ही साफ नहीं रखते, बल्कि हमारे मस्तिस्क की स्मरण क्षमता बढ़ा देती है. आयुर्वेद में वर्णित दंतधावन विधि में अर्क, न्यग्रोध, खदिर, करज्ज, नीम, बबूल आदि पेड़ों की डंडी की दातुन करने के लिए कहा गया है. यह सभी दातुन कटु-तिक्त रस की होती हैं। आयुर्वेद में मुख प्रदेश को कफ का आधिक्य स्थान कहा गया है. सुबह का काल भी कफ प्रधान होता है एवं पूरी रात सोने के कारण मुख के अंदर कफ जमा हो जाता है. इसलिए शास्त्र में कफ दोष का नाश करने वाले कटु, तिक्त एवं कसैला प्रधान रस वाली दातुन का प्रयोग करने के लिए कहा है.

आयुर्वेद में किस दातुन की क्या है विशेषता:
1. बबूल- इसका दातुन मसूढ़े और दांतों को मजबूत बनता है.
2. नीम- नीम के दातुन से आपके पाचन शक्ति और चहरे की निखार बढ़ता है. यह पायरिया जैसी बीमारी में लाभदायक है.
3. बेर- इसके दातुन को इस्तेमाल करने से आवाज साफ और मधुर हो जाती है.

आयुर्वेद के अलवा भी कई जगह दातुन के बारे बताया गया हैं. जैसे मिस्वाक के दातुन का जिक्र कई इस्लामिक विद्वानों ने किया है. मिस्वाक के दातुन एन्टी-बैक्टीरियल और एन्टी एडिक्शन होते है. आपके दाँतों को प्लेग जैसी बीमारी से दूर रखता है. ये दाँतों की परत इनेमल को मजबूत बनाता है. साथ ही बदबूदार सांस को खत्म करता है. इसमें कई पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं, जैसे – फ्लौरिने, सिलिकॉन, विटामिन सी, सल्वादोरिने और ट्राइमिथाइल.
भारत के पूर्व रेल मेंत्री लालू प्रसाद यादव ने नीम के दातुन को बढ़ावा देने के लिए इसे ट्रेनों में उपलब्ध कराना शुरू कर दिया था. अब दातुन इतना प्रसिद्ध है कि ये ऑनलाइन भी मिलती है. कई कंपनियां दातुन को पैक करके बेचती हैं. इसलिए दातों का ख्याल रखना है, तो ब्रश छोड़कर दातुन का इस्तेमाल शुरू करना होगा.

Daatun nirog aur sunder daato ke liye jaruri

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