सदियों से इस्तेमाल में आने वाले गुलकंद के हैं कई फायदे, जानिए विस्तार से

Gulkand: गुलकंद न सिर्फ स्वाद में बल्कि सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। हो भी क्यों न यह गुलाब की पंखुड़ियों से जो तैयार किया जाता है। गुलाब के फूल की तरह गुलकंद की खुशबू भी दिल को बाग-बाग कर देती है। भारत में इसका इस्तेमाल सदियों से होता रहा है। गुलकंद को हमारी संस्कृति में चाय और पान के साथ-साथ दूध में भी मिलाकर पीया जाता है। आप इसे बाजार से खरीद सकते हैं और साथ ही घर पर भी बना सकते हैं।

कैसे बनाया जाता है गुलकंद ?

गुलकंद को बनाने की विधि काफी आसान है। इसे बनाने के लिए आप देशी गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी पंखुड़ियों को अच्छी तरह से साफ कर लें। फिर इसे चीनी या मिश्री की समान मात्रा में एक साफ कांच के बर्त्तन में परत-दर-परत डाल दें। एक परत गुलाब की दूसरी मिश्री की। इसमें स्वाद के लिए इलायची का पाउडर भी मिला सकते हैं। अब इसे साफ जगह पर धूप में रख दें ताकि यह अच्छी तरह घुल सके। लगातार 12 से 15 दिन तक धूप में रखने के बाद आपका गुलकंद हो जाएगा तैयार। है न आसान।

गर्मी से गुलकंद का रिश्ता

गुलकंद की तासीर ठंडी होती है। गर्मी में होने वाली समस्याओं के साथ-साथ कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द और पेट की समस्या में काफी कारगर सिद्ध होता है। अगर  गर्मी के मौसम में आपके पैरों के तलवों में जलन की समस्या है, तो फिर गुलकंद का सेवन आपके लिए सहायक हो सकता है।

यह मुंह के छालों में भी राहत देता है। आयरन की शक्ति से भरपूर गुलकंद महिलाओं की मासिक धर्म की अनियमितता में आराम देता है। गुलकंद पाचन में मददगार तो साबित होता ही है साथ ही कब्ज की परेशानी में भी राहत पहुंचाता है। इसी वजह से इसका इस्तेमाल सदियों से पान में होता रहा है। सीने में जलन हो या फिर एसीडिटी की मार सभी में काम आता है यह गुलकंद। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो शरीर में विषाक्त पदार्थों को निकालने का काम करता है।

और पढ़ें- 

भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में क्या है खास ? जानें विस्तार से

हिंदू धर्म में क्यूं इतना महत्व रखता है यह अक्षयवट, जानिए विस्तार से

आपकी लिखावट से पता चलता है आपका व्यक्तित्व, जानिए राज़ की बात

Exit mobile version