पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि कोई भी विद्यार्थी जब अपनी मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण करता है, तो उसे जल्दी और बेहतर समझ आती है. यह कई शोधों में भी सिद्ध हो चुका है. जब कोई हिन्दी भाषी राज्य का लड़का इंजीनियरिंग और मेडिकल क्षेत्र में पढाई करता है, तो शुरुआती दिनों में उसे भाषा को लेकर भी दिक्कत होती है. हालाँकि, विलक्षण छात्र इससे पार पा जाते हैं. हमारी कोशिश है कि सरकार यदि इंजीनियरिंग, मेडिकल आदि तकनीकी पुस्तकों का अनुवाद करवाना शुरू करे, तो हिन्दीभाषी युवाओं को काफी सहूलियत होगी.
पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार और दिल्ली के पूर्व महापौर पर केंद्रित पुस्तक, हिन्दी के पुरोधा महेश चंद्र शर्मा, के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे. प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का विमोचन हिन्दी भवन में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में हुआ. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने हिन्दी को लेकर अपने मंत्रितत्वकाल के कई प्रसंगों का उल्लेख किया. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुझे इस बात का गर्व है कि मैं जब राजस्थान से दिल्ली आया तो महेश चंद्र शर्मा जी मेरे गुरु रहे. उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा को लेकर भी कई बातें कहीं.
बता दें कि इस पुस्तक में 31 विद्वानों के विचारों को संकलित किया गया है. पुस्तक का संपादन आचार्य अनमोल ने किया है. पुस्तक विमोचन समारोह की शुरुआत मां वाग्देवी सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के साथ हुईं. आगत अतिथियों का स्वागत प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार ने शाल और पुस्तक देकर किया. उन्होंने महेश चंद्र शर्मा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला. हिन्दी भवन के सचिव गोविन्द व्यास ने हिन्दी साहित्य, महेश चंद्र शर्मा और वर्तमान परिप्रेक्ष्य पर बात की. आयोजन के दौरान कई लोगों ने बहुआयामी प्रतिभा के धनी महेश चंद्र शर्मा जी का अभिनंदन और स्वागत किया.
Mahesh chandra sharma