हज यात्रियों की सहायता के लिए मुस्तैद है भारतीय हज कमेटी

टीम हिन्दी

हर मुसलमान के लिए हज यात्रा बहुत अहम मानी गई है. इस्लाम के मुताबिक हर मुसलमान को जिंदगी में एक बार हज जरूर करना चाहिए. तभी तो हर साल सऊदी अरब के मक्का में दुनियाभर के लाखों मुस्लमान हज के लिए पहुंचते हैं. जिस तरह हिंदुओं के लिए तीर्थ यात्रा जरूरी माना गया है, वैसे ही मुस्लिमों के लिए हज. हर साल की तरह इस साल भी भारत समित दुनिया भर से करीब 20 लाख से ज्यादा मुस्लिम हज यात्रा के लिए सऊदी अरब के मक्का पहुंचेंगे.

इस्लाम के अनुयायियों को आने-जाने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो, इसके लिए भारतीय हज कमेटी पूरी तरह से मुस्तैद रहता है. भारतीय हज कमेटी अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अधीन एक सांविधिक निकाय है. इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है. हर राज्य की राजधानी में इसका कार्यालय है. यह एक सतत उत्तराधिकार वाला निकाय कारपोरेट है. हज तथा इससे संबंधित मामलों के लिए मुस्लिम तीर्थ-यात्रियों हेतु व्यवस्था करना इसका उत्तरदायित्व है. यह प्रतिवर्ष हज के लिए इच्छुक यात्रियों से आवेदन आमंत्रित करती है, तीर्थ-यात्रियों का चयन करती है. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के समग्र पर्यवेक्षण में जेद्दा में भारत के महा कौंसलावास और नागर विमानन मंत्रालय के साथ निकट समन्वय से सऊदी अरब में उनके आवास, परिवहन और कल्याण की व्यवस्था करती है.

हज इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने के 8वें दिन से 13वें दिन के बीच किया जाता है. हज का मकसद होता है तन, मन और आत्मा की शुद्धी करना. मुसलमानों का मानना है कि पैगंबर अब्राहम ने अपनी पत्नी हाजिरा और बेटे इस्माइल को फलस्तीन से अरब लाने का निर्देश दिया, ताकि उनकी पहली पत्नी सारा की ईष्र्या से उन्हें बचाया जा सके. अल्लाह ने पैगंबर अब्राहम से उन्हें अपनी किस्मत पर छोड़ देने के लिए कहा. उन्हें खाने की कुछ चीजें और थोड़ा पानी दिया गया. कुछ दिनों में ही ये सामान खत्म हो गया. हाजिरा और इस्माइल भूख और प्यास से बेहाल हो गए. मायूस हाजिरा सफा और मारवा पहाड़ी से मदद की चाहत में नीचे उतरीं. भूख और थकान से टूट चुकी हाजिरा गिर गईं और उन्होंने संकट से मुक्ति के लिए अल्लाह से गुहार लगाई. इस्माइल ने जमीन पर पैर पटका तो धरती के भीतर से पानी का एक सोता फूट पड़ा और दोनों की जान बच गई.

हाजिरा ने पानी को सुरक्षित किया और खाने के सामान के बदले पानी का व्यापार भी शुरू कर दिया. जब पैगंबर अब्राहम फलस्तीन से लौटे, तो उन्होंने देखा कि उनका परिवार एक अच्छा जीवन जी रहा है और वे पूरी तरह से हैरान रह गए. पैगंबर अब्राहम को अल्लाह ने एक तीर्थस्थान बनाकर समर्पित करने को कहा. अब्राहम और इस्माइल ने पत्थर का एक छोटा-सा घनाकार निर्माण किया. इसे काबा कहा जाता है. अल्लाह के प्रति अपने भरोसे को मजबूत करने ही हर साल यहां मुसलमान आते हैं. सदियों बाद मक्का एक फलता-फूलता शहर बन गया और इसकी एकमात्र वजह पानी के बेहतरीन स्रोत का मिलना था.

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