हजारों साल पहले की अजंता गुफा के चित्र आज भी कैसे चमक रहे हैं

AJANTA

AJANTA CAVES: जब मानव जाति अपनी प्रारंभिक अवस्था में थी, तो उन्होंने गुफा, पहाड़ आदि के अंदर ही अपनी जिंदगी को बसाया था। जो कि निश्चित तौर पर उनके लिए एक प्राकृतिक आश्रय स्थल के रूप में रहा होगा। जहां वे अपने जीवन को सुरक्षित रख पा रहे थे। इसलिए तो प्राचीन समय से लेकर मध्यकालीन दौर तक आपको विभिन्न गुफा और इससे जुड़े वास्तुकला के अवशेष मिल जाएंगे।

इन्हीं पुरातात्विक वास्तुकला का एक नायाब उदाहरण है महाराष्ट्र के औरंगाबाद से 107 किलोमीटर दूर स्थित स्थल अजंता की गुफा। इन गुफाओं की खोज ब्रिटिश सेना की मद्रास रेजीमेंट के एक सैन्य अधिकारी ने शिकार खेलने के दौरान की थी। जिसके बाद इन गुफाओं के भित्ति-चित्रों ने दुनिया भर में लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। इसकी महत्ता को देखते हुए ही यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत स्थल के रूप में घोषित किया था।

इन गुफाओं के नाम का आधार, यहां से 12 किलोमीटर दूर स्थित “अजिंठा गांव” के नाम पर रखा गया है। अजंता की गुफाएं “घोड़े की नाल के आकार की चट्टान” की सतह पर खोदी गई हैं। ये गुफाएं समय के अलग अलग अंतराल पर ( लगभग दूसरी से छठी सदी के बीच ) खोदी गई होंगी।

अजंता की गुफाओं की विशेषताएं

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