हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन नहीं रहे…

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M S Swaminathan: भारतीय कृषि को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाले महान वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन जी का निधन हो गया है। वृद्धावस्था के कारण आज सुबह 11.20 बजे चेन्नई के एक अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांसे ली। भारत में हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन 98 वर्ष के थे। स्वामीनाथन को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। जिनमें पद्म श्री (1967),पद्मभूषण(1972),पद्मविभूषण(1989),मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और विश्वखाध पुरस्कार (1987) शामिल है।

देश में अकाल के समय किसानों और सरकारी नीतियों की मदद से सामाजिक क्रांति लाने वाले स्वामिनाथन ने अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र के निदेशक को तौर पर भी कार्य किया। तमिनाडु के तंजावुर में जन्मे स्वामीनाथन ने 60 के दशक में उच्च उपज देने वाली गेहूं के किस्मों को पहचाना और देश में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में काफी अहम योगदान दिया है। 1943 के बंगाल के अकाल के दौरान भूख से तड़पते लाखों लोगों को देख कर उनके प्रति अपना जीवन समर्पित करने वाले स्वामीनाथन ने पुराने महाराजा कॉलेज से जूलॉजी में स्नातक पाने के बाद पूरी जिंदगी कृषि को समर्पित किया था।

7 अगस्त 1925 को केरल के कुंभकोणम में जन्मे मोनकोंबू संबासिवन स्वामीनाथन ने भारत में हरित क्रांति की अगुवाई की थी। स्वामिनाथन के परिवार में उनकि तीन बेटियां सौम्या,मधुराऔर नित्या स्वामीनाथन हैं। सौम्या स्वामीनाथन,एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की अध्यक्ष है। बताते चलें कि स्वामीनाथन ने मिशन को कायम रखने के लिए स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की थी। संस्था गरीबी उन्मूलन के लिए और भूख से जुड़े मुद्दों पर काम कर रही है। यह किसानों को कृषि के नवीन उपागम और तकनीकों से लैस करने की कोशिश कर रहा है।

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