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इतिहास लिखने से बस चंद कदम दूर है भारत का आदित्य एल-1

इतिहास लिखने से बस चंद कदम दूर है भारत का आदित्य एल-1
  • PublishedJanuary , 2024

ADITYA l1

ADITYA L1 MISSION UPDATE: भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 आज शनिवार को शाम के करीब अपनी मंजिल एल-1 पर पहुंच जाएगा। पूरे देश के साथ अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की नजर इस पर बनी हुई है। आपको बता दें कि आदित्य को पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंज प्वाइंट पर स्थापित किया जाएगा। आदित्य एल- 1 मिशन को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपनी ओर से सारी तैयारियां पूरी कर ली है।  शाम के करीब चार बजे पूरे देश और दुनिया को भारत के इस सफल मिशन की खुशखबरी मिलने के आसार हैं।

आपको बता दें कि लैग्रेंज प्वांइट अंतरिक्ष में वह स्थान होता है, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरूत्वाकर्षण बल शून्य हो जाता है। जैसा कि आप जानते हैं कि सभी ग्रहों और उपग्रहों का अपना एक बल होता है, जिससे वह किसी भी चीज को अपनी ओर आर्कषित करते हैं, जिसे विज्ञान की भाषा में गुरूत्वाकर्षण बल कहते हैं। अंतरिक्ष में कुल पांच लैग्रेंज प्वांइट हैं। इस प्वाइंट पर रखी चीज को लगातार सूर्य का प्रकाश मिलता रहता है। इसलिए आदित्य एल-1 प्वाइंट पर स्थित होकर चौबीसों घंटे सूर्य पर अपनी नजर रख सकता है।

आदित्य एल-1 मिशन, सूर्य का अध्ययन करने वाला, भारत का पहला मिशन है। यह मिशन अपने कक्षा में स्थापित होकर अगले पांच साल तक सूर्य से जुड़ी घटनाओं का अध्ययन करेगा। पिछले साल दो सितंबर को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C57) की मदद से आदित्य मिशन को श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से छोड़ा गया था। जिसके बाद चरणबद्ध तरीके से आदित्य को पृथ्वी की गुरूत्वाकर्षण की कक्षा से सफलतापूर्वक बाहर भेजा गया था। इसके बाद से आदित्य हर एक चरण को पार कर अपने मंजिल पर स्थापित होने जा रहा है।

अपनी कक्षा में स्थापित होकर आदित्य सौर कंपन, सौर ज्वाल के साथ साथ कोरोनल मास इजेक्शन का भी अध्ययन करेगा। आपको बता दें कि जिस प्रकार पृथ्वी पर भूकंप आते हैं, उसी प्रकार सूर्य में भी कंपन होते हैं, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन कहते हैं। आदित्य पर लगे सात पेलोड की सहायता से सारे अध्ययन को पूरा किया जाना है।

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Written By
टीम द हिन्दी

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