26 जनवरी 1950 को ही भारतीय संविधान क्यूं लागू हुआ था। इतिहास के कुछ पन्ने
Republic Day , 26 Jan 2024: इस बार का 26 जनवरी, भारत के लिए एक खास दिन है, क्योंकि यह साल यानी कि 2024 में हमारे गणतंत्र का 75वां साल पूरा हो रहा है। इस खास दिन के आदि और इतिहास की बात तो बाद में करते हैं। सबसे पहले बात करते हैं, हमारी जिंदगी में 26 जनवरी के दिन की। याद है न, सुबह-सुबह उठ कर सफेद स्कूली पोशाक में पूरे उमंग और उत्साह के साथ झंडोत्तोलन कार्यक्रम के लिए जाना। वहां पहुंच कर पूरे उल्लास से झंडा फहराना फिर स्कूल में मिलने वाली गरमा-गरम जलेबी का मजा लेना। हाय, लिखते वक्त मुंह में पानी आ गया। अपने 26 जनवरी से जुड़ी यादों को ताजा करते हुए। घर पर बैठकर दूरदर्शन टीवी चैनल पर झांकियों का मजा लेना। राष्ट्रभक्ति गीतों से मन का सराबोर हो जाना।
26 जनवरी को क्यूं मनाते हैं हम गणतंत्र दिवस
भारत में गणतंत्र दिवस एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रतिवर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। आज के दिन यानी कि 26 जनवरी 1950 को भारत सरकार अधिनियम (1935) को हटाकर पूर्णरूप से भारत का संविधान लागू किया गया था। वैसे तो नवंबर 1949 में ही संविधान के कई सारे प्रावधानों को लागू कर दिया गया था, लेकिन भारतीय संविधान को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए 26 जनवरी का दिन ही तय किया गया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि 26 जनवरी, 1950 के दिन ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी। ऐसे में इस दिन को यादगार बनाने के लिए इसके ठीक 20 साल बाद 26 जनवरी, 1950 के दिन संविधान को लागू किया गया। आपको बता दें कि भारतीय संविधान की मूल प्रति आज भी संसद भवन की लाइब्रेसी में सुरक्षित रखी गई है। भारतीय संविधान को दुनिया का सबसे बड़ा हाथ से लिखा गया संविधान का श्रेय मिला है।
26 जनवरी को होने वाली परेड सुबह के समय न होकर शाम के वक्त हुई थी, क्यों ?
लोकतंत्र के इस सबसे बड़े त्यौहार को 26 जनवरी के दिन मनाया जाता है। इस दिन कर्तव्य पथ पर विभिन्न राज्यों की झांकियां निकाली जाती हैँ। इसके अलावा यहां पर शानदार परेड भी होता है, जिसमें हमारे देश के वीर जवान अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं। सुबह के वक्त झंडोत्तोलन के बाद देश के महामहिम राष्ट्रपति, सेना और झांकियों की सलामी लेते हैं। इस पूरे कार्यक्रम को पूरा देश टेलीविजन के माध्यम से देखता है।
लेकिन क्या आपको पता जिस परेड को लेकर हम बात कर रहे हैं वह जब देश में पहली बार हुई थी तो वह सुबह के वक्त नहीं बल्कि शाम के वक्त हुई थी। वास्तव में देश के पहले राष्ट्रपति यानी कि हमारे राजेंद्र बाबू या डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को सुबह के 10 बजकर 38 मिनट पर राष्ट्रपति पद की शपथ ली। जिसके बाद वे भारतीय सेना का निरीक्षण करने के लिए 4 बजे के आसपास तब के इरविन स्टेडियम जिसे आज मेजर ध्यान चंद स्टेडियम भी कहते हैं, पहुंच गए। इसके बाद उन्हें 31 तोपों की सलामी दी गई और 100 विमानों ने उनको सलामी भी दी। तब से इस परेड की परंपरा जारी है। हां शुरू के पांच साल यानी कि 1950 से लेकर 1954 तक गणतंत्र दिवस पर होने वाली यह परेड किसी एक निश्चित स्थान पर नहीं होती थी। कभी इरविन स्टेडियम तो कभी रामलीला मैदान या फिर लाल किला मैदान में। लेकिन, साल 1955 में यह परेड तब के राजपथ और आज के कर्तव्य पथ पर होने लगी। जिसके बाद से यह इसी परंपरागत रूट पर होने लगी।
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