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भारतीय खाने जैसा कोई नहीं – भारतीय राज्यों के स्वादिष्ट व्यंजन

भारतीय खाने जैसा कोई नहीं – भारतीय राज्यों के स्वादिष्ट व्यंजन
  • PublishedJuly , 2020

 ‘जैसा खाओ अन्न वैसा होवे मन, अच्छा होवे मन तब बन जाओ भगवन;

हम जो भोजन करते हैं उससे हमारा शरीर बनता है। इसको आधुनिक चिकित्सा शास्त्र भी मानता है। भारतीय ज्ञान इससे भी ऊपर है। भोजन के साथ भाव का भी महत्व है, क्योंकि इससे खाने वाले का मन सन्तुष्ट होता है। भोजन किस भावना के साथ बनाया गया, किस भाव और दुलार के साथ खिलाया गया, किस वातावरण और मनोभाव से भोजन ग्रहण किया गया, आदि बातों का सीधा प्रभाव मन पर पड़ता है। व्यक्ति मन की इच्छाएं पूरी करने के लिए कर्म करता है। इच्छा व्यक्ति की मर्जी से पैदा नहीं हो सकती। पूरा करना या न करना व्यक्ति की मर्जी है। जब इच्छा किसी अन्य शक्ति से पैदा होती है और वही हमारा जीवन चलाती है, तो स्वत: ही हम निमित्त बन जाते हैं।

भारतीय संस्कृति में हर खुशी की पहली अभिव्यक्ति भोजन ही है। जन्म, विवाह आदि से लेकर जीवन की हर खुशी पर खाना, दावत, पार्टी से आगे कोई अन्य अपेक्षा क्यों नहीं रखता? क्योंकि इसके साथ जीवन-शक्ति जुड़ी है। इससे मन पल्लवित होता है। इसमें वातावरण भी अपना योगदान करता है। भोजन शरीर में पहुंच कर रस बनाता है। रस से रक्त, मांस, मेदा, मज्जा, अस्थि और वीर्य बनते हैं। जो बचता है वह मल-मूत्र के रूप से बाहर निकल जाता है। यहां स्थूल निर्माण कार्य समाप्त हो जाता है। वीर्य आगे ऊर्जा के रूप में परिवर्तित हो जाता है, इसी से व्यक्ति का मन बनता है। चेहरे का “ओज” इसी से आता है। यही व्यक्तित्व की पहचान बनता है।

भारत मैं सब कुछ अनेक और विविध है, भारतीय भोजन भी उसी तरह विविध है। पूरब पश्चिम, उत्तर और दक्षिण भारत का आहार एक दूसरे से बहुत अलग है। भारतीय भोजन पे अनेक तत्वों का प्रभाव पड़ा है, जैसे उतर भारत मैं हम मुगलय प्रभाव देखते है। हर क्षेत्र का खाना दूसरे क्षेत्र से बहुत अलग होता है, यह भरतीय भोजन को अपनी एक निराला व अनोखा रूप देती है। पूरन पूरी हो या दाल बाटी, तंदूरी रोटी हो या शाही पुलाव, पंजाबी खाना हो या मारवाड़ी खाना, भारतीय भोजन की अपनी एक विशिष्टता है और इसी कारण से आज संसार के सभी बड़े देशों में भारतीय भोजनालय पाये जाते हैं जो कि अत्यंत लोकप्रिय हैं। विदेशों में प्रायः सप्ताहांत अथवा अवकाशों पर भोजन के लिये लोग भारतीय भोजनालयों में ही जाना अधिक पसंद करते हैं।

भारतीय राज्यों के 28 स्थानीय व्यंजन

1. बैंगन की लौंजी (उत्तर प्रदेश) – बैंगन की लौंजी उत्तर प्रदेश की स्थानीय डिश है। आपने बैंगन की सब्जी और बैंगन से बनी कई डिश खाई होंगी लेकिन अगर आपका कभी उत्तर प्रदेश जाना हो तो वहां का स्थानीय व्यंजन “बैंगन की लौंजी” जरूर खाएं।

2. बल मिठाई (उत्तराखण्ड) – बल मिठाई आपको मुख्य रूप से सिर्फ उत्तराखंड में ही खाने को मिलेगी जो वहां की बेहद स्वादिष्ट डिश है।

3. भुट्टे का कीस (मध्य प्रदेश) – भुट्टे का कीस मध्य प्रदेश का स्थानीय व्यंजन है। मध्य प्रदेश के भुट्टे काफी स्वादिष्ट होती है और इसी कारण वहां की स्थानीय डिश भुट्टे का कीस भी काफी स्वादिष्ट होती है।

4. छेना पोङा (ओडिशा) – ओडिशा का छेना पोङा वहां का स्थानीय और बेहद स्वादिष्ट व्यंजन है अगर आपका ओडिशा जाना हो तो इसे जरूर ट्राई करें।

5. दाब चिंगरी (वेस्ट बंगाल) – दाब चिंगरी वेस्ट बंगाल का स्थानीय और बेहद स्वादिष्ट व्यंजन है जो आपको सिर्फ वेस्ट बंगाल में ही मिलेगा।

6. देहरोरी (छत्तीसगढ़) – छत्तीसगढ़ का देहरोरी व्यंजन खाने के बाद आप इसका स्वाद कभी नहीं भूल पाएंगे।

7. गोंगुरा पछाडि (आंध्र प्रदेश) – अगर आप कभी आंध्र प्रदेश जाएँ तो वहां की स्थानीय डिश गोंगुरा पछाडि जरूर चखें आप इसका स्वाद कभी भुला नहीं पाएंगे।

8. ईराची इश्तु (केरल) – केरल अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है लेकिन वहां की स्थानीय डिश ईराची इश्तु भी काफी फेमस है जो काफी स्वादिष्ट होती है।

9. जदोह विथ पोर्क (मेघालय) – जदोह विथ पोर्क मेघालय का स्थानीय व्यंजन है, इस डिश का स्वाद जो आपको मेघालय में मिलेगा वो कहीं नहीं मिल सकता।

10. कालादी चीज़ (जम्मू और कश्मीर) – जम्मू और कश्मीर में खूबसूरत वादियां तो हैं ही साथ ही वहां की स्थानीय डिश कालादी चीज़ भी खाने लायक है जो काफी स्वादिष्ट होती है।

11. कम्बु कुज़ह (तमिल नाडु) – तमिल नाडु जाने वाले हर व्यक्ति को वहां की कम्बु कुज़ह नाम की डिश जरूर चखनी चाहिए जो आपके मुँह का टेस्ट बदल देगी।

12. खमण असिनबा कांगशोई (मणिपुर) – खमण असिनबा कांगशोई मणिपुर का स्थानीय व्यंजन है जिसका स्वाद एक बार आप चख लेंगे तो कभी भी भूल नहीं पाएंगे।

13. लिट्टी चोखा (बिहार) – लिट्टी चोखा डिश का नाम आपने सुना ही होगा जो की बिहार का स्थानीय और बेहद स्वादिष्ट व्यंजन है।

14. मद्र (हिमाचल प्रदेश) – खूबसूरत नजारों के साथ साथ हिमाचल प्रदेश में एक और चीज़ फेमस है “मद्र” जो की वहां का स्थानीय और बेहद लाजवाब व्यंजन है।

15. मसूर ठेंगा (असम) – असम का स्थानीय व्यंजन मसूर ठेंगा अगर आपको खाने का मौका मिले तो कभी मत छोड़ना क्योंकि ये डिश है ही इतनी स्वादिष्ट।

16. ड्राई बम्बू शूट (नागालैंड) – अगर आप कभी नागालैंड जाएँ तो वहां की स्थानीय डिश ड्राई बम्बू शूट जरूर चखें आप इसका स्वाद कभी भूल नहीं पाएंगे।

17. मुई बोरोक (त्रिपुरा) – मुई बोरोक त्रिपुरा की स्थानीय और बेहद लाजवाब डिश है जो आपको सिर्फ त्रिपुरा में ही खाने को मिल सकती है।

18. पंडी करी (कर्नाटक) – कर्नाटक में पंडी करी नाम की डिश काफी फेमस है जो वहां का स्थानीय व्यंजन होने के साथ साथ काफी टेस्टी है।

19. फगशापा (सिक्किम) – अगर आपका कभी सिक्किम जाना हो तो वहां की स्थानीय डिश फगशापा जरूर ट्राई करें।

20. रगड़ा (झारखण्ड) – अगर आप कभी झारखण्ड में हों और आपको कुछ ऐसा खाने का मन करे जिससे आपके मुँह का टेस्ट लाजवाब हो जाये तो वहां की रगड़ा डिश जरूर खाएं।

21. सवहचिार (मिज़ोरम) – मिज़ोरम जाने पर अगर आपने वहां का स्थानीय व्यंजन सवहचिार नहीं चखा तो समझो आपका मिजोरम जाना अधूरा है।

22. स्मोक्ड पोर्क इन सेंग्मोरा क्साक (अरुणाचल प्रदेश) – स्मोक्ड पोर्क इन सेंग्मोरा क्साक अरुणाचल प्रदेश का स्थानीय व्यंजन है जो स्वाद में काफी लाजवाब है।

23. बेबिन्सा (गोवा) – यूँ तो गोवा अपने खूबसूरत नज़ारे, समुद्र तटों के लिए फेमस है लेकिन अगर आप गोवा जाएँ तो वहां की स्थानीय डिश बेबिन्सा जरूर खाएं।

24. खांडवी (गुजरात) – यूँ तो गुजरात की कई डिश प्रसिद्ध हैं लेकिन वहां की खांडवी बेहद स्वादिष्ट है।

25. बाजरे की खिचड़ी (हरियाणा) – हरियाणा जाएं और बाजरे की खिचड़ी ना खाएं तो वहां जाना ही अधूरा है।

26. थाली पीठ (महाराष्ट्र) – महाराष्ट्र अपनी संस्कृति, हाई-फाई जीवन शैली और मुंबई के लिए फेमस है लेकिन वहां की थाली पीठ भी काफी फेमस है जो काफी स्वादिष्ट होती है।

27. मक्के की रोटी सरसों का साग (पंजाब) – अगर पंजाब की मक्के की रोटी सरसों का साग नहीं चखा तो समझो कुछ नहीं चखा।

28. मलाई घेवर (राजस्थान) – अगर आपका कभी राजस्थान जाना हो तो वहां का मलाई घेवर जरूर चखें आप इसका स्वाद कभी भूल नहीं पाएंगे।

भारतीय भोजन विभिन्न प्रकार की पाक कलाओं का संगम है। इसमें पंजाबी खाना, मारवाड़ी खाना, दक्षिण भारतीय खाना, शाकाहारी खाना, मांसाहारी खाना आदि सभी सम्मिलित हैं। भारतीय ग्रेव्ही, जिसे कि अक्सर करी/तरी भी कहा जाता है, का अपना अलग ही इतिहास है। जी हाँ, आपको जानकर आश्‍चर्य होगा कि भारतीय करी का इतिहास 5000 वर्ष पुराना है। प्राचीन काल में, जब भारत आने के लिये केवल खैबर-दर्रा ही एकमात्र मार्ग था क्योंकि उन दिनों समुद्री मार्ग की खोज भी नहीं हुई थी। उन दिनों में भी यहाँ आने वाले विदेशी व्यापारियों को भारतीय भोजन इतना अधिक पसंद था कि वे इसे पकाने की विधि सीख कर जाया करते थे और भारत के मोतियों के साथ ही साथ विश्‍वप्रसिद्ध गरम मसाला खरीद कर अपने साथ ले जाना कभी भी नहीं भूलते थे। करी शब्द तमिल के कैकारी, जिसका अर्थ होता है विभिन्न मसालों के साथ पकाई गई सब्जी, से बना है। ब्रिटिश शासनकाल में कैकारी अंग्रेजों को इतना पसंद आया कि उन्होंने उसे काट-छाँट कर छोटा कर दिया और करी बना दिया। आज तो यूरोपियन देशों में करी इंडियन डिशेस का पर्याय बन गया है।

Bhartiye khane jaisa koi nhi

Written By
टीम द हिन्दी

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