कॉर्पोरेट जगत में हिन्दी का प्रयोग भविष्य में और अधिक होगा – तरुण शर्मा

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कॉर्पोरेट या नैगम शासन व्यवस्था एक ऐसी शासन प्रणाली है, जिससे कोई निगम यानी कंपनी निर्देशित, प्रशासित एवं नियंत्रित होती है। विभिन्न कंपनियों को संचालित करने वाली इस कॉर्पोरेट शासन व्यवस्था का विस्तार जहां दिनोदिन तेजी से हो रहा है वहीं इस शासन व्यवस्था में रोजगार, अनुसंधान के साथ ही नवाचार एवं विकास के भी नए – नए मार्ग खुलते जा रहे हैं।

अगर देखा जाए तो, अपार संभावनाओं वाले इस विशाल कॉर्पोरेट संसार की उन्नति में कोई सबसे अधिक सहायक है तो वो है – भाषा। किसी ने कहा है कि, “एक राष्ट्र की उन्नति में वहां की भाषा काफी अधिक महत्व रखती है।” और आज यही बात कॉर्पोरेट वर्ल्ड पर भी लागू होती है। कॉर्पोरेट वर्ल्ड की उन्नति में भी कहीं न कहीं भाषा काफी सहायक सिद्ध हो रही है। एक समय था जब इस कॉर्पोरेट जगत में सिर्फ और सिर्फ अंग्रेज़ी भाषा को ही महत्व दिया जाता था लेकिन आज इस जगत में अंग्रेज़ी के साथ ही हिंदी एवं अन्य कई प्रांतीय भाषाओं को भी काफी अधिक महत्व दिया जा रहा है। और जहां हिंदी भाषा की बात आती है तो आज कॉर्पोरेट जगत में हिंदी भाषा का प्रयोग अंग्रेज़ी के साथ ही दूसरी बड़ी भाषा के रूप में किया जा रहा है।

 

किसी कंपनी में क्रिएटिविटी एवं इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए जरूरत होती है क्रिएटिव माइंड्स की। और आजकल रिक्रूटर्स भी अपनी कंपनी की ग्रोथ हेतु अंग्रेज़ी भाषी व्यक्तियों के साथ साथ हिंदी भाषी व्यक्तियों को भी रिक्रूट करना अत्यधिक पसंद कर रहे है। और इन्हीं क्रिएटिव माइंड्स की सहायता से कंपनी अपने आगामी लक्ष्यों की प्राप्ति निर्धारित समय पर कर पा रही है। तो यह कह सकते हैं कि, भविष्य में कॉर्पोरेट जगत में हिंदी का प्रयोग और अधिक होगा।

corporate jagat me hindi bhasa ka paryog bhavisya me aur adhik hoga- Tarun sharma

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