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बढ़ती संवादहीनता और बिखरते परिवार!

बढ़ती संवादहीनता और बिखरते परिवार!
  • PublishedMarch , 2020

इंसान अपने विचार को भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त करता है। मन के विचारों को प्रकट करने के लिए भाषा एक सशक्त माध्यम है। भाषा संवादों की जननी है। पारिवारिक जीवन में संवाद ही परिवार के लोगों को परस्पर बाँध कर रखते हैं। यदि आपस में संवाद ही न हो तो परिवार में दूरियां बढ़ने लगती हैं। संवाद व्यवस्था से ही परिजनों की निकटता और दूरियों का पता चलता है। इसलिए परिवार में संवाद उच्चकोटि के साथ सार्थक भी होना चाहिए।

संवाद का मतलब पारिवाहिक कलह से नहीं है। कलह के समय संवाद न ही हो तो बेहतर।  जिन परिवारों में सहज और शालीन संवाद रहता है, उस परिवार में सदा सौहार्दयपूर्ण वातावरण बना रहता है। परिजनो में किसी सदस्य का पूर्वाग्रही, स्वार्थवृत्ति, हीन भावना से ग्रसित होना, अवसाद पूर्वक जीवन जीना, शारीरिक मानसिक विकृति संवाद हीनता का कारण होती हैं।

संवादहीनता की उत्पत्ति सामान्यत अकारण अथवा सामान्य कारणों से ही होती हैं। कई बार संवाद हीनता गलत धारणाओं की जननी होती हैं। और यह गलत धारणाएं अच्छे खासे परिवार को बिखराव की और ले जाती हैं! घर में बुजुर्गों का न होना संवादहीनता का बड़ा कारण है। वर्तमान एकल परिवारों में सामान्यत तीन से चार सदस्य ही होते हैं, आपस में बात करें भी तो कितनी? ऊपर से तकनीक (टेक्नोलॉजी) से संवादहीना को ज्यादा बढ़ावा मिला है! मोबाइल की इसमें महती भूमिका है। एक कमरे में तीन लोग बैठे होंगे लेकिन उनके मध्य शायद ही संवाद होगा क्योंकि तीनों ने मोबाइल को ही संवाद का साधन समझ लिया है।

परस्पर संवाद के अभाव में परिवारिक समस्याओं का समाधान संभव नहीं है। यह समस्या संवादहीना के कारण सुरसा के मुंह जैसी बड़ी हो जाती हैं। वर्तमान समय में भाई से भाई की सास की बहू से पिता की पुत्र से जो दूरियां बन रही है वह संवादहीनता के कारण ही है। बच्चों में संस्कारों का विघटन तथा परस्पर सहयोग में कमीं परिवार में संवादहीनता का ही परिणाम है। संवादहीनता दरिद्रता की सेहली है। जहां संवादहीनता होगी दरिद्रता उसके पीछे पीछे आ ही जाएगी।

जिन परिवारों के मध्य संवादहीनता की अधिकता रहती है, उन परिवारों के लोगों के मध्य दूरिया बढ़ती हैं। तनावपूर्ण जीवन जीने की बाध्यता के साथ ही सहयोग की वृत्ति समाप्त हो जाती है। संवाद ही वह कला है जो परिवार को जीवन प्रयन्त साहचर्य से जोड़े रखता है ! घर को स्वर्ग बनाने का एक ही तरीका है और वह है संवाद इसलिए परिवार में संवाद रूपी सीमेंट होना ही चाहिए ताकि परिवार के लोगों को स्नेह से जोड़े रखे।

Badhti sanvadhinta aur bikharta parivar
Written By
टीम द हिन्दी

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