कल्पना चावला जन्मदिन विशेष- आने वाली पीढ़ियों के लिए उम्मीदों का आकाश!
“मैं अंतरिक्ष के लिए बनी हूं और इसी के लिए मरूंगी”- कल्पना चावला, जो उन्होंने कहा वह सच साबित हुआ। 1 फरवरी 2003 को पूरा संसार कल्पना चावला के अन्तरिक्ष से धरती पर सकुशल वापसी की कामना कर रहा था। लेकिन नियति ने शायद कुछ और ही सोच रखा था। कोलंबिया स्पेस शटल पृथ्वी पर सुरक्षित उतरने से पहले ही थर्मल प्रोटेक्शन में आई खराबी के कारण अत्यधिक गर्षण के कारण फट गया। धमाका इतना बड़ा था कि टेक्सास में 15 किलोमीटर तक विमान का मलबा फ़ैल गया। जिसमें कल्पना चावला समेत सभी 6 अन्तरिक्ष यात्री मारे गए।
कल्पना चावला 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में पैदा हुई थी। चार भाई बहनों में कल्पना सबसे छोटी थी। छोटी होने के कारण वह पिता बनारसी लाल चावला और मां संजयोती चावला को ज्यादा प्रिय भी थी। आरंभिक पढ़ाई टैगोर बाल निकेतन से करने के बाद चंडीगढ़ से वैमानिकी(एयरोनॉटिकल) में इंजीनियरिंग पूरी की। घर वाले उन्हें शिक्षिका बनाना चाहते थे। लेकिन कल्पना का मन तो आसमान की सरहदों से परे अन्तरिक्ष में उड़ान भर रहा था! अपनी उड़ान को अमली जामा पहनाने के लिए सुनीता टेक्सस यूनिवर्सिटी चली गई!
1984 में उन्होंने सफलता पूर्वक अंतरिक्ष इंजीनियरिंग(एयरोस्पेस इंजीनियरिंग) में अपना स्नातकोत्तर पूरा किया! उन्हें पता था सिर्फ इतने से उनका सपना पूरा नहीं होगा! 1986 में अंतरिक्ष इंजीनियरिंग में उन्होंने दूसरा स्नातकोत्तर भी कर लिया! कल्पना ने 1988 में कोलराडो विश्वविद्यालय से अंतरिक्ष इंजीनियरिंग(एयरोस्पेस इंजीनियरिंग) में पी.एच.डी. भी पूरा किया।
1991 में अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने से पहले कल्पना ने हवाई जहाज़ों, ग्लाइडरों व व्यावसायिक विमानचालन के प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक का दर्ज़ा हासिल कर लिया था। इस बीच उन्हें नासा के ‘अमेस रिसर्च सेण्टर’ में कार्य करने का मौक़ा मिला। अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने के बाद उन्होंने नासा एस्ट्रोनौट कोर्प के लिए आवेदन किया। 1995 में उन्होंने नासा एस्ट्रोनौट कोर्प ज्वाइन कर लिया और यहीं से उनकी अन्तरिक्ष की यात्रा प्रारम्भ हुई। कल्पना को ज्यादा इंतज़ार करने की आवश्यकता नहीं पड़ी और 1996 में उन्हें अन्तरिक्ष जाने वाली टीम के लिए चयनित कर लिया गया।
1997 में अपनी पहली यात्रा के दौरान कल्पना ने अंतरिक्ष में 372 घंटे बिताये। उनकी पहली अंतरिक्ष उड़ान यान कोलंबिया में 19 नवम्बर 1997 को प्रारंभ हुई। फ्लाइट संख्या एसटीएस-87 में कल्पना के साथ पांच अन्य सदस्य थे। एस तरह अन्तरिक्ष में उड़ान भरने वाले वह पहली भारतीय महिला और दूसरी भारतीय बन गयीं। कल्पना की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा 16 जनवरी 2003 से शुरू हुई थी लेकिन एक फरवरी 2003 को अन्तरिक्ष यान धरती पर लौटते समय क्षतिग्रस्त हो गया।
कल्पना ने अपने सपनों से कभी समझौता नहीं किया! उन्होंने वही किया जो वे करना चाहती थी अंतरिक्ष की जटिलताओं को जानते हुए भी उन्होंने उस मार्ग पर चलने की हिम्मत दिखाई सिर्फ हिम्मत ही नही वरना सफलता पूर्वक उनपर चली भी! कल्पना आने वाली पीढ़ियों के लिए उम्मींदों का आकाश बन गयी। समस्त भारतीयों को कल्पना चावला पर गर्व है उनके जन्मदिन पर ‘द टीम हिन्दी’ की ओर से बधाई…
Kalpana chawla vishesh-Aane wali pidio ke liye umeedo ka aakash