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युवाओं की पसंद बनती जा रही है खादी

युवाओं की पसंद बनती जा रही है खादी
  • PublishedAugust , 2019

टीम हिन्दी

खादी के कपड़ों को डिजाइनर लुक देने के लिए वर्क और कलर-कॉम्बिनेशन के साथ काफी एक्सपेरिमेंट किया जाने लगा है. लोगों की डिमांड और फैशन को देखते हुए इसे डिजाइनर टच भी दिया जा रहा है. समर हो या विंटर, यह आल टाइम फेवरेट हो गई है. खादी का क्रेज अब समय के साथ लगातार अपना दायरा बढ़ा रहा है. अब खादी के कपडे़ खास वर्ग तक तक सीमित नही हैं युवा भी अब खादी के दीवाने होते जा रहे हैं. इसी का नतीजा है कि साल दर साल खादी उद्योग का दायरा बढ़ता जा रहा है. हर साल खादी के प्रति लोगों को क्रेज बढ़ रहा है. यह बाजार अब केवल धोती कुर्ते तक सीमित नही रह गया है नए नए फैशन के प्रोडक्ट खादी द्वारा तैयार किए जा रहे हैं.खादी की जैकेट आज के युवाओं सबसे अधिक पसंदीदा गारमेंट है. सर्दियों में गर्माहट के साथ साथ कंफर्ट भी मिलता है.खादी के कपडे़ खासतौर पर कुर्ता पायजामा सबसे अधिक चलन में है इसके अलावा खादी की चादर, गददे आज भी घर-घर में पसंद किए जाते हैं.

किसी समय गरीबों का पहनावा अथवा राजनीतिज्ञों की पहचान समझे जाने वाली खादी वर्तमान में फैशनपरस्त लोगों की पहली पसंद बनती जा रही है. समाज का एक बड़ा संपन्न विशेषकर युवा वर्ग खादी की ओर तेजी से आकर्षित हो रहा है. युवतिया जींस के साथ खादी के कुर्ते पहनने लगी है तथा युवा शादी-विवाह जैसे विशेष समारोहों के दौरान खादी सिल्क की अचकन तथा चूड़ीदार पजामी को तरजीह देने लगे है. बढ़ती लोकप्रियता का मुख्य कारण इसका मौसम के अनुसार यानि गर्मियों में ठडी और सर्दियों में गर्म होना है. इसके साथ ही खादी त्वचा को भी किसी तरह की हानी नहीं पहुचाती.

खादी एवं ग्रामोद्योग सिर्फ खादी की उत्पादन ही नहीं कराता बल्कि महात्मा गाधी की आशाओं को जीवंत भी करता है. यह भारत के सशक्तिकरण की निशानी है. आयोग शिल्पकारों को योजनाओं की रूपरेखा बनाने एवं बैंकों से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने में भी सहयोग करता है और उन्हे प्रोद्योगिकी, विपणन व विशेष परीक्षण प्रदान कराता है. संस्था का सामाजिक उद्देश्य रोजगार उपलब्ध कराना और मूल उद्देश्य लोगों को आत्म निर्भर बना कर एक शक्तिशाली एवं समृद्ध ग्रामीण समुदाय की स्थापना करना है. 90 लाख से अधिक ग्रामीण रोजगार का सृजन, 15 हजार करोड़ रूपये की उत्पादन, 7050 बिक्री केंद्र, 5 हजार संस्थाएं/एनजीओ तथा 2.76 लाख ग्रामीण उद्यमी संस्था की देश की उपलब्धिया है.

Yuwao ki pasand banti jaa rhi hai khadi

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टीम द हिन्दी

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