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भारत के जन आयोजनों से आपसी प्रेम बढ़ता है कोरोना वायरस नहीं!

भारत के जन आयोजनों से आपसी प्रेम बढ़ता है कोरोना वायरस नहीं!
  • PublishedMarch , 2020

भारत की भौगोलिक स्थितियां उसे विशेष बनाती हैं। भारत के वातावारण में कुछ तो खास है जो बड़ी सी बड़ी आपदा यहाँ पनप नहीं पाती। पश्चिमी देशों की अनियंत्रित जीवन शैली खान-पान से सिर्फ कोरोना जैसे वायरस नहीं निकले।बल्कि कई असाध्य बीमारियाँ भी पश्चिमी सभ्यता की देन हैं! फिलहाल कोरोना पूरे विश्व के सामने गंभीर चुनौती है और भारत में भी दस्तक दे चुका  है। कोरोना से भारत में  फिलहाल किसी के हताहत होने की खबर नहीं है!

पश्चिमी देशों से समय समय पर कई महामारियों ने जन्म लिया है जो समूचे मानव जाति के लिए खतरा बनी! एचआईवी जैसी जानलेवा बीमारी कांगो से निकली और अब तक लाखों जानें ले चुकी है! निप्पाह वायरस  मलेशिया से निकला, इबोला साऊथ सूडान से, हांगकांग से बर्ड फ्लू, मर्स मिडिल ईस्ट देशों से। पिछले कुछ सालों से डेंगू सुर्ख़ियों में है। डेंगू का वायरस मनिला से निकल कर आया। और अब चीन से निकला कोरोना वायरस पूरी मानवजाति के लिए खतरा बना हुआ है।

भारत के चरणों में महासागर भी पछाड़ खा वंदना में लग जाता है। इस तुच्छ वायरस की क्या बिसात? यहाँ का उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र और तापमान कोरोना वायरस को पनपने नहीं देगा ऐसा विश्वास है! भारत ज्ञान, ज्योतिष, दर्शन, सांख्यकी और विज्ञान तो दे सकता है लेकिन कोरोना जैसे वायरस नहीं।

इतिहास गवाह है भारत से निकल कर कोई बीमारी विश्वपटल पर नहीं गई। जबकि भारत में सबसे ज्यादा जन आयोजन होते हैं। वरना क्या कारण है कि विश्व के एकमात्र धार्मिक मेले कुम्भ में करोड़ों लोग एक ही स्थान पर डुबकी लगाते हैं। पर मजाल है कि किसी एक व्यक्ति को छींक भी आ जाये! केवल कुम्भ ही नहीं गुरुद्वारों में भी लोग लाखों  की संख्या में पूजा करते हैं। एक स्थान पर बैठ कर भोजन करते है और वहां से संतुष्टि के भाव लेकर जाते हैं न कि वायरस!

भारत वंदन की धरती है यहाँ के कण-कण मानव मात्र की कुशलता की कामना करते हैं क्योंकि भारत ने वसुधैव-कुटुम्बकम् के मन्त्र का जाप किया है, यहाँ के वातावरण में शंख और घंटियों का नाद गूंजता है जो कोरोना जैसे वायरस को पनपने नहीं देगा

bharat ke jan ayojano sei aapsi prem bdhta hai, corona virus nhi

Written By
टीम द हिन्दी

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