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संस्कृति

कर्पूर सुगंध ही नहीं, करता है निरोग भी

कर्पूर सुगंध ही नहीं, करता है निरोग भी
  • PublishedJune , 2019

टीम हिन्दी

कर्पूर नाम तो सुना होगा आपने. देखा भी होगा. स्वच्छ, सफेद इस पदार्थ को. पूजा पाठ में आरती के समय हर जगह होता है. मंदिर और घर में. क्या आप जानते हैं कि कर्पूर केवल सुगंध नहीं फैलाता है. कर्पूर के उपयोग से आप और हम कई बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं. आयुर्वेद में इसकी काफी महिमा बताई गई है. कई उपयोग की बातें जहां स्वयंसिद्ध हैं, वहीं कर्पूर को लेकर कई प्रकार के टोटके भी लोकाचार में है.

रसायन विज्ञान में ‘कैंफर या कर्पूर’ जो आम प्रयोग में ‘कपूर’ के नाम से जाना जाता है, को सफेद या पारदर्शी, क्रिस्टल प्रॉपर्टीज का वाष्पशील पदार्थ माना गया है. यह सिनामोमम कैम्फोरा नाम के एक पेड़ की छाल या तेल से निकाला जाता है, जो मूल रूप से चीन में पाया जाता है.

आरती के दौरान कर्पूर का इस्तेमाल यूं ही नहीं किया जाता, बल्कि इसके पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं. कर्पूर एक उड़नशील वानस्पतिक द्रव्य है. जलाने पर इससे निकलने वाली गंध जैसे ही हमारी सांसों के जरिये हमारे शरीर में प्रवेश करती है, तो इससे हमारे शरीर को कई सारे लाभ होते हैं. कर्पूर हमारे शरीर में प्रवेश कर एक तरह से एंटी ऑक्सीडेंट का काम करता है.

आयुर्वेद के अनुसार इसकी गंध सूंघने से कफ संबंधी दोष दूर होते हैं. यहां तक की विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों में भी इसका प्रयोग किया जाता है.इसे घर में नियमित रूप से जलाने से कीट पतंगे मर जाते हैं. साथ ही इसकी गंध से बैक्टीरिया-वायरस आदि सूक्ष्म जीव भी नष्ट हो जाते हैं. दमा के रोगियों को सोते समय अपने तकिए के नीचे कपूर रखना चाहिए. ऐसा करने से दमा के अटैक कम आते हैं.

कपूर दो प्रकार का होता है, एक, प्राकृतिक जो कपूर के पेड़ से निकाला जाता है और जिसे खाया जा सकता है और दूसरा, कृत्रिम जो पूरी तरह रसायनों के इस्तेमाल से बना है और इसका इस्तेमाल हीलिंग प्रॉपर्टीज के रूप में होता है. बाजार में आम तौर पर कृत्रिम कपूर उपलब्ध होता है. प्राकृतिक कपूर को भीमसेनी कपूर के नाम से भी जाना जाता है और इसकी विशेषता है कि पानी में डालने में पर यह बरतन की तली में बैठ जाता है, जबकि कृत्रिम कपूर को कई रासायनिक क्रियाओं के साथ तारपीन के तेल से बनाया जाता है.

कर्पूर शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है. विक्स जैसे चिक्त्सीय जैल में इसका उपयोग बड़े स्तर पर किया जाता है. कपूर एंटीसेप्टिक और एं टी-इंफ्लामेंटरी होता है , इसलिए त्वचा संबंधी समस्याओं में भी यह बेहद लाभकारी है. नारियल के तेल में थोड़ा सा कपूर मिलाकर बालों में मालिश करना जहां डैंड्रफ और बालों में खुजली से छुटकारा दिलाता है, वहीं त्वचा पर इसकी मालिश पिंपल और एग्जिमा जैसी परेशानियां खत्म कर सकता है. इसका लगातार उपयोग त्वचा के दाग-धब्बे भी हटाता है.

Kapoor

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टीम द हिन्दी

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