संगीत सरिता: चाय की चुस्कियों के संग आनंद
“श्रोताओं आज हमारे साथ हमारे कार्यक्रम में गुलजार और —-???” आप सभी को यह वाक्य तो याद ही होगा. अगर नहीं याद तो मैं याद दिलाता हूं. ‘संगीत सरिता’, दोस्तों कुछ याद आया?
यह वही कार्यक्रम है, जहां यह वाक्य हम रोजाना सुना करते थे. रोजाना सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर विविध भारती पर प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम से ही दिन की शुरुआत होती थी. बुजुर्ग हो या कोई नौजवान हर किसी की जुबान पर संगीत सरिता ही हुआ करती थी. सुबह-सुबह रेडियो पर संगीत सरिता के साथ चाय की चुस्कियों का मजा अलग ही होता था.
ये वह समय था, जब हाथ में सेलफोन और आईपैड की जगह रेडियो हुआ करती थी. देश की जुबान पर एक ही नाम होता था ‘देश की सुरीली धड़कन’ (विविध भारती). उस समय विविध भारती के सारे कार्यक्रमों को बहुत चाव से सुना जाता था. उन्हीं खास कार्यक्रमों में से एक कार्यक्रम संगीत सरिता भी हुआ करता था.
‘संगीत सरिता’ के माध्यम से विविध भारती अपने तमाम श्रोताओं के बीच संगीत की समझ कायम करने का प्रयास कर रहा था. कार्यक्रम के दौरान संगीत के विशेषज्ञों को बुलाया जाता था. इस दौरान विशेषज्ञ संगीत की बारीकियों को बड़े ही आसान शब्दों में श्रोताओं को समझाया करते थे. विशेषज्ञ किसी भी फिल्मी गाने को सुनाकर उस गाने में इस्तेमाल हुई राग से श्रोताओं को तो परिचित कराते ही थे, साथ ही उस गाने से जुड़ी हुई कुछ रोचक जानकारियां भी देते थे.
फिल्मी और संगीत जगत की अनगिनत बड़ी हस्तियां इस कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं. संगीत निर्देशक राहुल देव बर्मन, संगीतकार आशा भांेसले और ऑस्कर विजेता गुलजार की सहभागिता से बनी एक श्रृंखला थी ‘मेरी संगीत यात्रा’. ये संगीत सरिता पर सबसे लोकप्रिय हुई श्रृंखलाओं में से एक है. इस कार्यक्रम में भारतीय शास्त्रीय संगीत और लोक गीतों से श्रोता को रू-ब-रू कराया जाता था. संगीत सरिता के माध्यम से भारतीय संगीत की विविधताओं को बखूबी पेश किया जाता था. संगीत सरिता वर्षों तक विविध भारती पर प्रसारित होने वाले सबसे लोकप्रिय कार्यक्रमों में से एक है.
आज भी संगीत सरिता के काफी चाहने वाले है. इस कार्य्रक्रम को आज भी लोग यूट्यूब और अन्य ऑनलाइन माध्यमों से सुनते है. आज भी ‘संगीत सरिता‘ के दीवानों पर एफएम गोल्ड का खुमार चढ़ा हुआ है.
Sangeet sarita