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पहली मुख्यधारा की संस्कृत फिल्म “अहम ब्रह्मास्मि” का ट्रेलर नई दिल्ली में हुआ लॉन्च

पहली मुख्यधारा की संस्कृत फिल्म “अहम ब्रह्मास्मि” का ट्रेलर नई दिल्ली में हुआ लॉन्च
  • PublishedJuly , 2019

टीम हिंदी

मुख्यधारा की पहली संस्कृत फ़िल्म ‘अहम ब्रह्मास्मि’ का ट्रेलर प्रदर्शन और राष्ट्रवादी फ़िल्म ‘राष्ट्रपुत्र’ का फ़्रान्स में आयोजित विश्वप्रसिद्ध कान फ़िल्म फ़ेस्टिवल में वैश्विक प्रदर्शन के उपलक्ष्य में आयोजित भव्य समारोह 20 जुलाई, 2019 की शाम कॉन्स्टिटूशन क्लब ऑफ़ इंडिया में में किया गया, जिसमे देवभाषा संस्कृत में निर्मित पहली मुख्यधारा की फ़िल्म अहम ब्रह्मास्मि का ट्रेलर का विमोचन किया गया.

भारतीय सिनमा के आधार स्तम्भ बॉम्बे टॉकीज़ और महिला निर्मात्री कामिनी दुबे के संयुक्त निर्माण और सैन्य विद्यालय के यशस्वी राष्ट्रवादी फ़िल्मकार आज़ाद के द्वारा लिखित-निर्देशित-अभिनीत फ़िल्म अहम ब्रह्मास्मि शीघ्र प्रदर्शन हेतु तैय्यार है. इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य अतिथियों ने फ़िल्म का ट्रेलर देखकर ही प्रसन्न मुद्रा में आज़ाद और फ़िल्म की भूरि-भूरि प्रशंसा की और इस विरल रचनात्मक कार्य को देश और विदेश में देव भाषा संस्कृत के विकास में आज़ाद के योगदान की चर्चा की. आमंत्रित गणमान्य अतिथियों ने एक स्वर में कहा कि विश्व पटल पर संस्कृत का प्रचार प्रसार फ़िल्मकार आज़ाद का भगीरथ प्रयास है.

बॉम्बे टॉकीज़ की परम्परा हमेशा से ही सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई विचरोत्तेजक फ़िल्मों के सृजन का रहा है. उसी परम्परा का अनुपालन करते हुए सनातनी राष्ट्रवादी फ़िल्मकार आज़ाद ने भारत की सभ्यता और संस्कृति से संस्कृत के माध्यम से विश्व समुदाय को जोड़ने का काम किया है.

ज्ञातव्य है कि छः दशकों के अंतराल के बाद बॉम्बे टॉकीज़ का आज़ाद के नेतृत्व में राष्ट्रपुत्र के साथ भव्य पुनरागमन हुआ है. अहम ब्रह्मास्मि उसकी सफलता और कलात्मक विस्फोट की अगली कड़ी है. आज़ाद की बहुप्रतिक्षित फ़िल्म ‘अहम ब्रह्मास्मि’ के संदर्भ में आज़ाद ने कहा की भारत को जानने और समझने के लिए संस्कृत की शरण में आना होगा। संस्कृत है तो संस्कृति है. आज़ाद ने ज़ोर देकर कहा कि हमें अपनी सनातन संस्कृति पर गर्व है.

‘अहम ब्रह्मास्मि’ महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद के जीवन और दर्शन पर आधारित वर्तमान की फ़िल्म है.फ़िल्मकार आज़ाद फ़िल्म के ज़रिए विश्व मानवता का संदेश देना चाहते हैं.

फ़िल्म का निर्माण महिला निर्मात्री कामिनी दुबे और लेजेंडेरी फ़िल्म कम्पनी ‘द बॉम्बे टॉकीज़ स्टूडीयोज़’ ने किया है. फ़िल्म की प्रस्तुति भारतीय सिनेमा के आधार स्तंभ ‘राजनारायण दुबे’, 1929 में स्थापित फ़ाइनैन्स कम्पनी दुबे इंडुस्ट्रीज़, अन्तर्राष्ट्रीय ट्रस्ट ‘बॉम्बे टॉकीज़ फ़ाउंडेशन’, वर्ल्ड लिटरेचर आर्गेनाइजेशन, ‘आज़ाद फ़ेडरेशन’ और 1922 में कुमारी छवि देवी द्वारा स्थापित भारत की प्राचीन आर्गेनाइजेशन ’विश्व साहित्य परिषद’ ने किया है.

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टीम द हिन्दी

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