बुधवार, 25 दिसंबर 2024
Close
Home-Banner संपूर्ण भारत संस्कृति सभ्यता साहित्य

दक्षिण की गंगा की है अपनी कहानी..

दक्षिण की गंगा की है अपनी कहानी..
  • PublishedNovember , 2023

godavari

Godavari: भारत में नदियों का इतिहास मनुष्यों के विकास जितना पुराना रहा है। सदियों से यहां की नदियां न जाने कितने लोगों को पवित्र करती आ रही है और उनकी प्यास भी बुझाती आ रही है। इतिहास के गर्भ में जितनी भी सभ्यता और संस्कृतियां हुईं उन्होंने अपना डेरा-डंडा नदियों के किनारे ही बसाया और फैलाया। नदियों के किनारे, आज भी भारत की संस्कृति की गवाही देते दिख जाएंगे। क्या हुआ जो समय के साथ लोगों के रहने का तरीका बदल गया, लेकिन हमारी नदियों ने अपना रूख नहीं बदला और आज भी हजारों दशकों बाद निरंतर बह रही हैं और हमारे सभ्यता, संस्कृति को अपने पानी से सिंच रही हैं। ऐसी ही पवित्र नदियों में से एक है गोदावरी। हर नदियों की तरह गोदावरी का अपना एक अलग इतिहास और कहानी है। जी हां आज हम शनिवार विशेष में बात करेंगे दक्षिण की गंगा गोदावरी की।

भारत में गंगा के बाद सबसे बड़ी नदियों में से एक गोदावरी नदी दक्षिण भारत की सबसे प्रमुख नदियों में से एक है। इसे दक्षिण की गंगा भी माना जाता है। गोदावरी अपने सफर की शुरूआत पश्चिमी घाट में त्रयंबक की पहाड़ियों से शुरू की। वैसे तो यह गोदावरी महाराष्ट्र में नासिक जिले से निकलती है और नरसापुरम  में बंगाल की खाड़ी से मिलने की 1465 किलोमीटर लंबी यात्रा तय करती है। अन्य नदियों की तरह ही गोदावरी की उत्पत्ति एक शिव मंदिर, त्र्यंबकेश्वर से हुई है, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। त्र्यंबकेश्वर के बाद और नासिक से कुछ दूर पहले चक्रतीर्थ नामक एक कुंड है। यहीं से गोदावरी एक नदी के रूप में धरती पर अपना फैलाव दिखाती है। शायद इसलिए कई लोग चक्रतीर्थ को ही गोदावरी का प्रत्यक्ष उद्गम स्थान मानते हैं।

गोदावरी नदी को अपनी पवित्रता की वजह से गंगा की बहन भी कह कर पुकारते हैं। यह भारत की 7 सबसे पवित्र नदियों में से एक है। इसके उत्पत्ति के कारण ही नासिक शहर का धार्मिक रूप से काफी मान्यता प्राप्त है। कहते हैं दक्षिण की गंगा ने अरब सागर में गिरने से मना कर दिया था। नासिक का जुड़ाव रामायण के युग से भी बताया जाता है। नासिक को दंडकारण्य का एक हिस्सा माना जाता था, जहां भगवान राम ने अपने 14 वर्षीय वनवास का कुछ हिस्सा गुजारा था। नदी के किनारे तपोवन जैसे पवित्र स्थान और कहानियों में उद्धृत झील मिलते हैं। नासिक में ही गोदावरी के तट पर कालाराम का मंदिर भी है, जहां 1930 में अम्बेडकर ने मंदिर प्रवेश सत्याग्रह शुरू किया था। यह नदी कई सारी उल्लेखनीय घटनाओं की साक्षी रही है। नांदेड़ में तख्त श्री हुजूर साहिब नदी के किनारे ही गुरु गोबिन्द सिंह ने अपनी अंतिम सांसे ली थी। इसे सिख धर्म के पांच पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है।

गोदावरी के इतिहास की बात की जाए तो विशेषज्ञों का मानना है कि इसका नामकरण तेलगु भाषा के शब्द ‘गोद’ से हुआ है, जिसका अर्थ होता है- मर्यादा। कहते हैं एक बार महर्षि गौतम ने घोर तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न हो कर रूद्र ने अपने एक बाल के प्रभाव से यहां गंगा को प्रवाहित कर दिया था। और उस गंगाजल के स्पर्श मात्र से एक मृत गाय पुनर्जीवित हो गई थी। जिसके बाद इसका नाम गोदावरी पड़ा था। ऋषि गौतम से संबंधित होने के कारण इसे गौतमी के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं इस नदी में स्नान आदि करने से सारे पाप धुल जाते हैं। शास्त्रों में इसे वृद्ध गंगा या प्राचीन गंगा भी कहते हैं। गोदावरी की सात धारा वशिष्ठा, कौशिकी, वृद्ध गौतमी, भारद्वाजी, आत्रेयी और तुल्या प्रसिद्ध है। सात भागों में विभाजित होने के कारण इसे सप्त गोदावरी भी कहते हैं। इस तरह जब कभी नदियों की बात की जाती है तो गोदावरी नदी का अपना अलग स्थान और पवित्रता है जो इसे और नदियों से खास बनाता है।

और पढ़ें-

सिर्फ संस्कृत ही नहीं और भी भाषाओं में है रामायण..

भारत और ऐतिहासिक सिल्क रूट की कहानी

सिखों में है पगड़ी के रंग के अलग मायने

Written By
टीम द हिन्दी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *