टॉम अल्टर: उतने ही भारतीय थे, जितने कि हम और आप
जब भी हम और आप किसी के रंग-रूप से उसका आकलन करते हैं, तो गलत साबित होते हैं. सही में उसके बारे में विस्तार से जानना है, तो उसके व्यक्तित्व और कृतित्व का आकलन करना होगा. ऐसा ही कुछ हाल है अभिनेता टाॅम अल्टर के साथ. अमेरिकी मूल के इस अभिनेता ने जब भारतीय सिनेमाई जगत में अपना कदम रखा था, तो कौन जानता था कि यह करोड़ों भारतीय का चहेता बन जाएगा.
जी हां, सच तो यही है कि टॉम अल्टर उतने ही भारतीय थे, जितने कि हम और आप हैं. उन्होंने आजादी से पहले से लकर आजादी के बाद का भारत देखा था. अपने परिवार में खूब किस्से-कहानी सुने थे. 22 जून 1950 को टॉम ऑल्टर का जन्म एक अमेरिकी क्रिश्चियन मिशनरी परिवार में हुआ. नवंबर, 1916 में टॉम ऑल्टर के दादा-दादी अमेरिका के ओहायो स्टेट से भारत आए थे. सबसे पहले हवाई जहाज से मद्रास आए. फिर वहां से ट्रेन से लाहौर पहुंचे. ये लोग मिशनरी थे. सबसे पहले रावलपिंडी, पेशावर, सियालकोट इलाके में काम करना शुरू किया. टॉम के पिता का जन्म सियालकोट में हुआ था.
टॉम ऑल्टर तीन भाई-बहन थे. बड़ी बहन मार्था, फिर भाई जॉन, टॉम सबसे छोटे थे. परिवार में इनकी पत्नी कैरल, बेटा जेमी और बेटी अफशां हैं. 1954 में टॉम का परिवार राजपुर आ गया था. टॉम का 1954 से 1968 तक का समय राजपुर और मसूरी में बीता. टॉम कॉलेज के लिए अमेरिका की येल यूनीवर्सिटी गए थे. एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि वहां पढ़ाई बहुत सख्त थी और रोजाना 8-9 घंटे पढ़ाई करना उनके बस का नहीं था. एक साल में वापस भारत आ गए. पिता ने वापस आने पर इनके लिए शिक्षक की नौकरी खोज रखी थी. जगाधरी, हरियाणा के सेंट थॉमस स्कूल में. 19 साल की उम्र में बिना ट्रेनिंग के टॉम शिक्षक बन गए.
वर्ष 1970 की बात है. टॉम ने जगाधरी में राजेश खन्ना की फिल्म ‘आराधना’ देखी. फिल्म बहुत अच्छी लगी. उसी समय से एक्टर बनने की सोचने लगे. दो साल बाद भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान, पुणे में नामांकन करा लिया. साल 1972 से लेकर 1974 तक वहीं रहे. यहां रोशन तनेजा इनके गुरु थे. टॉम कहते थे, ‘मैं इस एक्टिंग इस्टिट्यूट न जाता, तो आज मुझे कोई न जानता.’ यहां नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी इनके जूनियर थे और शबाना आजमी इनकी सीनियर.
टॉम अल्टर ने 1976 की धर्मेंद्र की फिल्म ‘चरस’ से बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत की थी. 1977 में ऑल्टर ने नसीरुद्दीन शाह के साथ मिलकर मोल्टे प्रोडक्शन के नाम से एक थियेटर ग्रुप बनाया था. वह थियेटर में लगातार सक्रिय रहे हैं. उनकी खास फिल्मों की बात करें, तो इनमें परिंदा, शतरंज के खिलाड़ी और क्रांति जैसी फिल्में शामिल हैं. वह आखिरी बार सरगोशियां फिल्म में नजर आए थे. टॉम ने टीवी शोज के अलावा 300 के करीब फिल्मों में भी काम किया है. उन्हें खासतौर पर मशहूर टीवी शो जुनून में उनके किरदार केशव कल्सी के लिए जाना जाता है. 1990 के दशक में यह टीवी शो लगातार पांच साल तक चला था.
ऑल्टर ने तीन किताबें भी लिखी हैं. वर्ष 2008 में उन्हें कला और सिनेमा के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म श्री पुरस्कार भी दिया गया था. अभिनेता, लेखक और पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित टॉम ऑल्टर का 29 सितंबर, 2017 को 67 साल की उम्र में देहांत हो गया.
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