Close
संपूर्ण भारत

ह्वेन सांग ने क्या देखा भारत में ?

ह्वेन सांग ने क्या देखा भारत में ?
  • PublishedJuly 11, 2019

टीम हिन्दी

आप कभी भी भारत के प्राचीन इतिहास के बारे में जानना चाहते हैं, तो आपको चीनी बौद्ध भिक्षु ह्वेन सांग (वान ह्वेन सांग) के बारे में जानना चाहिए ,जो 627-643 ईसा पूर्व के बीच सिल्क रूट (रेशम मार्ग) से भारत आया था. ह्वेन सांग एक महान यात्री, विद्वान और अनुवादक थे. अभी तक उनके द्वारा किये गए कार्यों के कारण भारत पर प्रभाव पड़ा है. अपनी यात्रा के माध्यम से, उन्होंने अपनी असाधारण यात्रा, टिप्पणियों और अनुभवों पर एक पत्रिका लिखी जिसे बाद में पश्चिमी क्षेत्र के एचएसआई-यू ची या ग्रेट टैंग रिकॉर्ड्स के नाम से जाना जाता है. वर्तमान समय में, यह उस समय भारत की और अन्य पश्चिमी देशों की स्थिति के बारे में जानने के लिए इकलौता अभिलेख है. ह्वेन सांग वास्तव में एक महान यात्री और विद्वान थे, जिससे भारतीय इतिहासकारों को भारतीय सभ्यता के बारे में जानने में बहुत मदद मिल रही है.

ह्वेन त्सांग की यात्रा को कई बातें दिलचस्प बनाती हैं. माना जाता है कि एक सपने के कारण ह्युन त्सांग ने भारत की यात्रा करने की योजना बनाई थी. ये सपना भी उन्हें उस समय आया था, जब एक युद्ध के चलते तांग साम्राज्य के राजा ने विदेशी यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन ह्वेन त्सांग ने भारत आने का जुगाड़ कर ही लिया और 7वीं सदी में वो अपनी यात्रा के लिए निकल पड़े. फाहियान अपने संस्मरण में बताते हैं कि जब वो चीन की सीमा पर स्थित लॉप रेगिस्तान पहुंचे, तो सेना ने उन्हें पकड़ लिया. वजह साफ थी कि ह्वेन त्सांग के पास इसकी इजाजत से जुड़ा कोई सरकारी सबूत नहीं था. लेकिन वो सेना के आगे जाने से मना करने के बावजूद नहीं माने और अपनी जिद पर अड़े रहे.

ह्वेन सांग का जन्म वर्तमान के हेनांन प्रांत, चीन में 602 ईसा पूर्व में हुआ था. चूँकि बचपन से ही ह्वेन सांग चीन की धार्मिक किताबें पढ़ने के शौकीन थे और बौद्ध धर्म पर अच्छी किताबें पढ़ने के लिए पूरे चीन में यात्रा की थी. बौद्ध धर्म की पाठ पुस्तकों में कुछ विरोधाभासों को जानने के बाद, उन्होंने सच का स्पष्टीकरण करने के लिए भारत जाने का फैसला किया क्योंकि भारत बुद्ध का जन्मस्थान है. भारत पहुँचने के बाद, उन्होंने यहाँ पर अपने जीवन के 17 साल बिता दिए. अपनी पूरी यात्रा के दौरान, ह्वेन सांग ने खोज करने और आत्मसात करने की शिक्षा प्राप्त की. ह्वेन सांग ने पश्चिमी क्षेत्रों में ग्रेट टैंग रिकॉर्ड्स के चीनी पाठ में अपना यात्रा का विवरण दर्ज किया.

भारत की ऐतिहासिक दस्तावेज़ है ह्वेन सांग की यात्रा वृतान्त

627 ईसा पूर्व में ह्वेन सांग ने यात्रा अनुमति न होने के कारण एसयू-चूआन छोड़ा था. उन्होंने यह स्थान बहुत गुप्त रूप से छोड़ दिया क्योंकि यहाँ का कानून चीन के बाहर विदेश में यात्रा करने के लिए ट्रैवल परमिट बनाता था, हालांकि वह मुख्य मार्ग पर था, लेकिन पहली ही सीमा चौकी पर जाँच होने के बाद ह्वेन सांग को रोक दिया गया था, उन्होंने एक चक्करदार मार्ग बनाया. अब वह ऐसे स्थान पर थे जहाँ पर जीवन के कोई संकेत नहीं थे. अपने रास्ते में, ह्वेन सांग को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा और टरफान, करशाहार, ताशकंद, समरकंद, और बैक्ट्रिया के मध्य एशियाई क्षेत्र के माध्यम से रेगिस्तान और पहाड़ों को पार किया. लेकिन फिर भी उनको भारत आने से कोई रोक नहीं पाया. भारत के 34 राज्यों की यात्रा करने बाद उन्होंने अंततः 631 ईसा पूर्व में हिन्दू कुश पहुँचे. उन्होंने उत्तर-पश्चिम भारत में लगभग दो साल बिताए और फिर गंगा क्षेत्र के पवित्र बौद्ध स्थान पर गये. उनकी यात्रा में कपिलवस्तु (बुद्ध का जन्मस्थान), बनारस, सारनाथ (जहाँ पर बुद्ध ने पहला उपदेश दिया), बोधगया (बुद्ध ने इस स्थान पर निर्वाण प्राप्त किया) और नालंदा (भारत में बौद्ध शिक्षण केन्द्र) शामिल हैं. 15 महीनों के लिए, ह्वेन सांग ने नालंदा विश्वविद्लाय में संस्कृत जानने के लिए अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय दर्शन, व्याकरण और तर्क का भी अध्ययन किया.

वह एक महान विद्वान थे और उत्तरी भारत के राजा हर्षवर्धन को उनके बारे में तब पता चला जब वह अपने देश लौट रहे थे. राजा ने उनकी चीन वापस जाने की यात्रा को आसान बना दिया. ह्वेन सांग ने 643 ईसा पूर्व भारत से प्रस्थान किया. और 645 ईसा पूर्व में चूआन पहुँच गए. चीन पहुँचने के बाद उनको मंत्री पद की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया, क्योंकि वह अपने धार्मिक कार्यों को पूरा करना चाहते थे. उन्होने भारत से लाये संस्कृत ग्रंथों का अनुवाद करना शुरू कर दिया और 600 से अधिक बौद्ध ग्रंथों के अनुवाद को सफलतापूर्वक पूरा किया. ह्वेन सांग ने महायान के कुछ महत्वपूर्ण लेखन का अनुवाद भी किया था.

ह्वेन त्सांग चीन और भारत के इतिहास का वह नाम है, जिसे मिटाया नहीं जा सकता है. भारत के लिए ह्वेन त्सांग इसलिए महत्वपूर्ण है कि वह यात्री के तौर पर भारत से उसकी संस्कृति और समाज की झलकियां लेकर गया और उनसे दूसरे देशों को परिचित कराया खासकर चीन को. वहीं, चीन के लिए ह्वेन त्सांग इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह न केवल एक चीनी यात्री बनकर भारत गया था, बल्कि बुद्ध के संदेशों, उपदेशों को सीखकर वह वापस अपने देश लौटा था और चीनियों को उन संदेशों से परिचित कराया.

hsuan tsang nei kya dekha bharat me

Written By
टीम द हिन्दी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *