क्या कहता है भारत का धर्म चक्र ?
टीम हिन्दी
आप लोगों ने धर्म चक्र देखा होगा, भारत के राष्ट्रीय प्रतीक में। हमारे राष्ट्रीय प्रतीक में सिर्फ 3 सिंह ही दिखाई देते है, क्योंकि चौथा वाला पीछे छुपा हुआ है। राष्ट्रीय प्रतीक, जिसे बोलचाल में अबेकस भी कहते हैं, के केंद्र में चक्र है जिसके दाई ओर एक बैल और बाई एक घोड़ा का चित्रण है, इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय प्रतीक के दाहिने और बायें किनारे पर ‘धर्मचक्र’ है। अधोमुख-कमलाकृति अबेकस के नीचे है, वह राष्ट्रीय प्रतीक में सम्मिलित नहीं है।
सिंह-शीर्ष जो कि अशोक-स्तम्भ के ऊपर का हिस्सा है, यह 300 ईसा पूर्व में मश्गदाव (वर्तमान सारनाथ) के घने वन में महान सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया। ऐसा माना जाता है कि इस खंभे को उस स्थान को चिह्नित करने के लिए बनाया गया था, जहां महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया और नियम गति-चक्र को स्थापित किया जिसे ‘धर्मचक्र-प्रवर्तन’ के नाम से जाना जाता है। 1905 में प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध स्थल पर किए गए पुरातात्विक उत्खनन के दौरान 7 फ ीट ऊंचे सिंह-शीर्ष को प्राप्त किया गया। ऐसा माना जाता है कि सिंह-शीर्ष मूल रूप से एक चक्र से ऊपर थी, पुरास्थल के उत्खनन के दौरान चक्र के कुछ टुकड़े भी मिले थे। सारनाथ के अतिरिक्त अशोक-स्तम्भ अन्य पुरास्थलों से भी प्राप्त हुए है, जो क्रमश: लौरिया-अरेराज, लौरिया-नंदनगढ़, इलाहाबाद, प्रहलादपुर, भकरा, साँची, संकिसा है।
रामपुरवा स्तम्भ पर एकमात्र सिंह-शीर्ष है, संकिसा पर हाथी-शीर्ष है। इन सभी स्तम्भों की श्रेणी में से चार शेरों के साथ सारनाथ – धर्मचक्र-स्तंभ सबसे शानदार है, जो वास्तव में कारीगरी, लालित्य और चमक में अन्य सभी अशोक स्तंभों की तुलना में सर्वोत्कृष्ट है। यह शानदार छवि भारतीय प्रतीकवाद में उच्चतम प्रतिनिधित्व करती है, जिसे विभिन्न रूप से समझाया गया है। अपने मूल और पूर्ण रूप में सबसे सरल व्याख्या यह है कि धर्मचक्र धार्मिकता के घूर्णन चक्र को दर्शाता है जिसे सर्वोच्च माना जाता है।
धर्मचक्र की तीलियाँ बौद्ध- दर्शन के 24 सिद्धांतों के द्योतक है, चक्र प्रगतिशीलता का संदेश देता है। अत: चक्र को तिरंगे में केंद्र में रखा गया है। चार दिशाओं का सामना करने वाले चारों शेर काम या जुनून और भीषण बल का प्रतीक है। नीचे कमल अर्थ या धन का प्रतिनिधित्व करते हैं। आशय यह है कि धर्म, काम और अर्थ दोनों से ऊपर है एवं धर्म की शक्ति और वजन को लागू करके निरंतरता रखी जानी चाहिए। राष्ट्रीय प्रतीक में चित्रित चारों जानवर बुद्ध के जीवन में घटित घटनाओं का प्रतीकात्मक स्वरूप है।
Kya kehta hai bharat ka dharam chakr