बुधवार, 25 दिसंबर 2024
Close
Home-Banner संपूर्ण भारत संस्कृति सभ्यता

बड़े बुजुर्गों से तो खूब सुना होगा नौलखा हार के बारे में, लेकिन क्या इसके पीछे की कहानी जानते हैं आप

बड़े बुजुर्गों से तो खूब सुना होगा नौलखा हार के बारे में, लेकिन क्या इसके पीछे की कहानी जानते हैं आप
  • PublishedDecember , 2023

NAU LAKHA HAAR: आपने एक मशहूर गाना, “मुझे नौलखा दिला दे ओ सैंयां दीवाने” तो जरूर ही सुना होगा। हमारे घर के बड़े बुजुर्ग अक्सर ही किसी भी चीज की कीमत की तुलना नौ लखा से करते रहते हैं। ऐसे में क्या आपको पता है कि आखिर ये नौलखा हार किस बला का नाम है। इसके पीछे का इतिहास क्या है। जी हां आज हम आपको बताते हैं कि इस नौलखा के पीछे की कहानी की शुरूआत कहां से हुई।

किस फिल्म में देखा गया इसे

वैसे तो नौलखा हार के नाम से ही क्लियर है कि उस समय में इसकी कीमत 9 लाख रही होगी।  और उस वक्त 9 लाख की रकम, तो आम लोगों की क्या, खास लोगों की पहुंच से भी बाहर ही होगी। अगर आप ने बाजीराव मस्तानी मूवी देखी हो और अपने याद्दाश्त पर थोड़ा जोर डालें तो आपको फिल्म में अभिनेता रणवीर कपूर के गले में एक हरे रंग का भारी सा नेकलेस दिखा होगा। जी हां यह इस नेक्लेस को नौलखा हार की प्रतिकृति के तौर पर ही बनाया गया था। वैसे रणवीर सिंह इस फिल्म में जिस भूमिका में हैं इस नौलखा हार के इतिहास का संबंध भी उन्हीं से है।

आखिर बिहार तक कैसे पहुंचा नौलखा हार

जी हां बाजीराव मस्तानी में रणवीर सिंह एक मराठा शासक की भूमिका में देखे गए हैं और नौलखा की कहानी भी उन्हीं मराठाओँ से होकर बिहार के दरभंगा के महाराज तक गुजरी है। इसकी कहानी भी बड़ी ही रोचक है कोहिनूर की तरह। इतिहास की माने तो हम जिस नौलखा हार के बारे में सुनते या जानते हैं वो उस वक्त के मराठा शासक पेशवा बाजीराव के पास हुआ करता था। उस समय रूपये का प्रचलन नहीं था लेकिन उस वक्त के 9 लाख मुद्राओं में बाजीराव ने इसे बनवाया था। मराठाओं की शान नौलखा हार काफी समय तक इनके वंशजों के पास रहा जिसे 1857 की लड़ाई के बाद नाना साहब पेशवा ने नेपाल के राणा जंग को बेच दिया। और नेपाल से होते हुए लगभग 1901 में यह दरभंगा के तत्कालीन महाराज रामेश्वर सिंह के पास पहुंचा। कहते हैं महाराजा रामेश्वर सिंह उस वक्त के देश के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति थे। पहले नंबर पर हैदराबाद के निजाम आते थे और दूसरे नंबर पर वडोदरा के गायकवाड़।

नौलखा को लेकर एक अलग ही किस्सा है गायकवाड़ शाही परिवार का

वैसे तो नौलखा हार का संबंध मराठाओं से जुड़ा है लेकिन इसकी कीमत के साथ ही देश के और शाही परिवार से एक और अलग ही नौलखा हार की कहानी प्रचलित है। जिसे आप आज भी देख सकते हैं। जी हां नौलखा हार से जुड़ा एक किस्सा वडोदरा के गायकवाड़ के राजघराने से भी होकर गुजरता है। कहते है वडोदरा के श्रीमंत मनाजीराव गायकवाड़ किसी असाध्य रोग से ग्रसित हो गए थे। जिसके बाद देवी से प्रार्थना की और रोगमुक्त होने के बाद, उन्होंने 1839 में देवी का भव्य मंदिर बनवाया और देवी को बहुमूल्य नौलखा हार भी चढ़ाया।

उस समय के इस नौलखा हार की कीमत आज लगभग 300 करोड़ बताई जाती है। हालांकि तब से लेकर आज तक देवी को यह नौलखा हार साल में एक बार ही पहनाया जाता है। विजया दशमी पर यहां मां बहुचर की भव्य पालकी निकलती है। जिस दौरान मां को खास नौलखा हार पहनाने की परंपरा है। करोड़ो की कीमत के इस हार को कड़ी सुरक्षा में ही पहनाया जाता है और रखा भी जाता है।

और पढ़ें-

रैप की असली कहानी छुपी है हमारे साहित्य की पुस्तकों में

करेंगे ऐसी गलती, तो मनी प्लांट लाभ की जगह देगा नुकसान

ठंड और जयपुरिया रजाई, याद आई की नहीं आई

 

Written By
टीम द हिन्दी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *