क्या है शिव के जीवन सूत्र और रसायन शास्त्र के इन 114 तत्वों में संबंध…
विश्वामित्रभरद्वाजौ सप्त सप्तर्षयोभवन्।।
महाभारत में सप्तर्षियों की दो नामावलियां मिलती हैं। एक नामावली में कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ के नाम आते हैं तो दूसरी नामावली के अनुसार सप्तर्षि – कश्यप, वशिष्ठ, मरीचि, अंगिरस, पुलस्त्य, पुलह और क्रतु हैं। कुछ पुराणों में कश्यप और मरीचि को एक माना गया है
भगवान शिव ने ही कहा था कि ‘कल्पना’ ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है। हम जैसी कल्पना और विचार करते हैं, वैसे ही हो जाते हैं। शिव ने इस आधार पर ध्यान की कई विधियों का विकास किया। भगवान शिव दुनिया के सभी धर्मों का मूल हैं। शिव के दर्शन और जीवन की कहानी दुनिया के हर धर्म और उनके ग्रंथों में अलग-अलग रूपों में विद्यमान है।
एक इस्रायली वैज्ञानिक ने मानव मस्तिष्क पर कई वर्षों के शोध के बाद यह पाया कि मस्तिष्क में लाखों ऐसे ग्राहिकाएं हैं जो नशे को ग्रहण और महसूस करती हैं, जिन्हें कैनाबिस रिसेप्टर कहते हैं। फिर न्यूरोलॉजिस्टों ने पाया कि शरीर इन ग्राहिकाओं को संतुष्ट करने के लिए खुद एक नशीला रसायन विकसित कर सकता है।
जब उस वैज्ञानिक ने इस रसायन को एक सटीक नाम देना चाहा, तो उसने दुनिया भर के बहुत से ग्रंथ पढ़े। फिर उसे यह जान कर हैरानी हुई कि सिर्फ भारतीय ग्रंथों में आनंद का जिक्र मिलता है। इसलिए उसने उस रसायन को ‘आनंदामाइड’ नाम दिया।इसलिए आपको बस थोड़ा सा आनंदामाइड पैदा करना है क्योंकि आपके अंदर नशे की पूरी की पूरी फसल है। अगर आप उसे ठीक से उगाएं और उसका पोषण करें, तो आप हर समय नशे में चूर रह सकते हैं।