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स्वच्छ भारत अभियान का स्वच्छता गीत ‘गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल’ होली पर मचाएगा धूम!

स्वच्छ भारत अभियान का स्वच्छता गीत ‘गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल’ होली पर मचाएगा धूम!
  • PublishedMarch , 2023

स्वच्छ भारत अभियान का स्वच्छता गीत ‘गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल’ आपने सुना ही होगा। कचरे लेने वाली गाडी में बजने वाला यह गीत अब डीजे पर थिरकने वालों के बीच भी ख़ासा लोकप्रिय हो रहा है। इसका ताज़ा उदाहरण बनी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर! जहाँ एक होली मिलन समारोह में इस गाने पर लोग जमकर थिरके। इस होली मिलन समरोह की ख़ास बात यह रही कि यहाँ टमाटर से होली खेली गई! ज्ञात हो कि स्पेन का टोमेटो फेस्ट दुनिया में विख्यात है। जहाँ लोग टमाटर से होली खेलते हैं।

भारत के हर अंचल में अलग अलग तरीके से होली खेली जाती है। उत्तर प्रदेश और बिहार में होली को ‘फगुआ’, ‘फाग’ कहते हैं। मथुरा की लठमार होली गोकुल, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना में धूमधाम से खेली जाती है। दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में होली को ‘धुलंडी’ कहते हैं। होली को महाराष्ट्र में ‘रंग-पंचमी’ तो गुजरात में ‘गोविंदा होली’ कहते हैं। गोवा का मछुवारा समाज होली को ‘शिमगो’ नाम से मनाते हैं।

‘सेवेन सिस्टर’ राज्यों में भी होली की धूम रहती है। असम में होली को ‘देओल’ के नाम से मनाते हैं। मणिपुर में ‘योशांग’ नाम से होली जानी जाती है। उतराखंड और हिमांचल में होली संगीतमय हो जाती है। यहाँ खड़ी और बैठक होली चार दिन तक चलती है। उत्तराखंड की कुमाऊंनी होली में रामायण महाभारत के प्रसंगों को गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। पश्चिम बंगाल भी होली से अछूता नहीं है। यहाँ होली को ‘बसंत पूर्णिमा’ के नाम जाना जाता है। उड़ीसा में भी बसंत पूर्णिमा या ‘डोल पूर्णिमा’ कहा जाता है। दक्षिण भारत की होली का भी अपना अनोखा अंदाज है। यहाँ होली को कामदेव बलिदान के नाम से जाना जाता है। यहाँ होली को ‘कामा दाहानाम’ या ‘कामा विलास’ के नाम से जाता है! कर्णाटक में होली को ‘कामना हब्बा’ के नाम से जाना जाता है।

कामदेव बलिदान के पीछे एक कथा प्रचलित है। कामदेव को ही बसंत ऋतु का जनक माना जाता है। भगवान शिव की पत्नी सती, अपने पिता दक्ष द्वारा किया शिवजी का अपमान सह न सकीं। उन्होंने दक्ष द्वारा किये जा रहे यज्ञ के हवनकुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए। इससे क्षुब्ध हो भगवान शिव घोर तपस्या में बैठ गए। उधर तारकासुर नाम का राक्षस ब्रह्मा जी से वरदान पाकर घोर आतताई बन गया। ब्रह्मा जी से उसने शिवजी के पुत्र के हाथों मरने का वरदान लिया। उसे पता था कि शिवजी सती से अत्यधिक प्रेम करते थे और अब विवाह नहीं करेंगे।

वरदान पाकर तारकासुर ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। तत्पश्चात देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी किन्तु वरदान के कारण भगवान विष्णु भी तारकासुर का वध नहीं कर पाए। भगवान विष्णु से देवताओं को कामदेव (काम के देवता) से मदद मांगने का सुझाव दिया। कामदेव ने देवताओं का अनुरोध स्वीकार किया और प्रकृति का श्रृंगार करना प्रारम्भ किया! पेड़ नए पत्तों से लड़ने लगे। चारों और सुन्दर पुष्प खिलने लगे। सरसों के पीले फूलों से खेत लद गए। आम के पेड़ों पर बौरें आने लगी। कोयल मधुर सुर में चहकने लगी। पुष्पों की मादक गंध शीतल हवा में घुलकर बहने लगी। यह बसंत आगमन का सन्देश था!

कामदेव द्वारा चलाये पुष्पों के काम बाणों से शिवजी की तपस्या भंग हो गई। क्रोधित शिवजी ने  तीसरा नेत्र खोला और कामदेव को भस्म कर दिया। जब शिवजी का क्रोंध शांत हुआ तो देवताओं ने तारकासुर और वरदान के बारे में बताया। इस प्रसंग के बाद शिवजी ने पार्वती से विवाह किया। उनसे उत्पन्न पुत्र को कार्तिकेय कहा जाता है! कार्तिकेय ने ही बाद में तारकासुर का वध किया! इसी लिये दक्षिण भारत में होली को कामा दाहानाम कहा जाता है।

होली भारत ही नहीं वरन अन्य देशों में भी खेली जाती है! स्पेन के ‘टोमेटो फेस्टिवल’ का इस लेख में उल्लेख है लेकिन कम लोग जानते हैं कि स्पेन में ही बाजा में कैजकमोराज नाम से एक और त्यौहार मनाया जाता है। 500 साल पुराने इस त्यौहार में लोग ग्रीस से होली खेलते हैं।

दक्षिण कोरिया का ‘मड फेस्टिवल’ भी होली का ही एक स्वरुप है! थाईलैंड का जल उत्सव ‘सोंगक्रन’ के नाम से जाना जाता है! इसमें भी लोग एक दूसरे को भिगाते हैं लेकिन यह होली बिना रंगों के खेली जाती है! इंग्लैण्ड के ग्लैसटनबरी में भी अजब होली खेली जाती है जहाँ नाचते गाते लोगों को बारिश कर भिगाया जाता है!

Gadi wala aya ghar sei kachra nikaal geet holi pr machayega dhoom

Written By
टीम द हिन्दी

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