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भारत की ऋतुएँ और मानव शरीर – रक्षा पंड्या

भारत की ऋतुएँ और मानव शरीर – रक्षा पंड्या
  • PublishedSeptember , 2021
भारत को धरती का गौरव तथा प्रकृति का पुण्य लीलास्थल कहा गया है। विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जहां समय-समय पर विभिन्न ऋतुएं अपनी छटा बिखेरती हैं। मुख्य रूप से भारत में 3 ऋतुएं है- शीत, ग्रीष्म, और वर्षा ऋतु
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने भारत की जलवायु को चार ऋतुओं में बाँटा है– शीत, ग्रीष्म, वर्षा और शरद ऋतु।
हर वर्ष समय के साथ मौसम, तापमान और जलवायु में होने वाले परिवर्तन के चक्र को ही ऋतु कहते हैं। हमारी पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है जिसके कारण ऋतु में परिवर्तन होता है जिससे कभी गर्मी, कभी सर्दी तो कभी बरसात का मौसम होता है।
भारत की प्रकृति के अनुसार यहाँ छ: ऋतुएं प्रमुख रूप से मानी गई है। ये छः ऋतुएँ दो-दो माह की होती है-
वसंत ऋतु – मार्च-अप्रैल
ग्रीष्म ऋतु – मई-जून
वर्षा ऋतु –  जुलाई-सितंबर
शरद ऋतु – अक्टूबर-नवंबर
हेमंत ऋतु – दिसंबर-जनवरी
शीत ऋतु –  जनवरी-फरवरी

ऋतुओं ने हमारी परंपराओं को अनेक रूपों में प्रभावित किया है। बसंत, ग्रीष्म और वर्षा ‘देवी’ ऋतु हैं, तो शरद, हेमंत और शीत ‘पितरों’ की ऋतु है। आइए जानते हैं इन ऋतुओं के बारे में-

वसंत ऋतु- प्रकृति के श्रृंगार का उत्सव है ‘वसंत’। पौराणिक कथा के अनुसार, वसंत ‘ऋतुओं का राजा’ कहलाता है। अतः इसे सारी ऋतुओं ने अपने हिस्से के 8-8 दिन दिए। इस तरह वसंत 40 दिन की ऋतु मानी जाती है।
जिस तरह इस मौसम में प्रकृति में परिवर्तन होता है उसी तरह हमारे शरीर और मन-मस्तिष्क में भी परिवर्तन होता है। और जिस तरह प्रकृति के तत्व जैसे वृक्ष-पहाड़, पशु-पक्षी आदि सभी इस दौरान प्रकृति के नियमों का पालन करते हुए उससे होने वाली हानि से बचने का प्रयास करते हैं उसी तरह मानव को भी ऐसा करने की ऋषियों ने सलाह दी है। इस दौरान ऋषियों ने ऐसे त्योहार और नियम बनाए कि जिनका पालन करने से व्यक्ति सुखमय जीवन व्यतीत कर सके।

इस ऋतु में होली, धुलेंडी, रंगपंचमी, बसंत पंचमी, नवरात्रि, रामनवमी, नव-संवत्सर, हनुमान जयंती और गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाए जाते हैं। इनमें से रंगपंचमी और बसंत पंचमी जहां मौसम परिवर्तन की सूचना देते हैं वहीं नव-संवत्सर से नए वर्ष की शुरुआत होती है।

ग्रीष्म ऋतु- वसंत के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है जो कि वसंत और वर्षा ऋतु से बिल्कुल विपरीत होती है। इस ऋतु में सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है। इस दौरान दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती है। इस ऋतु में वातावरण का तापमान भी बहुत अधिक रहता है। ग्रीष्म ऋतु मूल रूप से फल वाला समय भी है, इस ऋतु में ताजे और मौसमी फलों के सेवन से हमारा स्वास्थ्य भी काफी अच्छा रहता है।

ग्रीष्म ऋतु सभी के लिए कष्टकारी अवश्य है लेकिन तप के बिना सुख-सुविधा को प्राप्त नहीं किया जा सकता। ग्रीष्म ऋतु में अच्छा भोजन और बीच-बीच में व्रत करने का प्रचलन है। इस माह में निर्जला एकादशी, वट सावित्री व्रत, शीतलाष्टमी, देवशयनी एकादशी और गुरु पूर्णिमा आदि त्योहार आते हैं।
वर्षा ऋतु- गर्मी के बाद वर्षा का मौसम आता है। वर्षा के कारण गर्मी के दिनों में राहत मिलती है। वर्षा को ‘ऋतुओं की रानी’ भी कहा जाता है। इस ऋतु के आते ही पूरी प्रकृति का आँचल फिर से हरा-भरा हो जाता है। यह ऋतु हिन्दू माह ‘सावन और भाद्रपद’ में आती है। बारिश की बूंदों से भीगता सावन का महीना निराले रंगों को साथ लेकर आता हैै। हिन्दू इस समय रक्षा बंधन, कृष्ण जन्माष्टमी, तीज, गणेश चतुर्थी, ओणम आदि त्योहार मनाते हैं।

वर्षा ऋतु में बारिश होने की वजह से लोग ज्यादातर घर में ही रहते है। इस समय मौसम हल्का ठंडा रहता है, जिस वजह से लोग गरम चीजें खाते हैं।

हमारे कृषि प्रधान देश में वर्षा ऋतु किसानों के लिए एक वरदान साबित होती है। क्योंकि किसानों को इस समय खेती में लाभ मिलता है। हरी-भरी धरती और बादलों के आसमान में छा जाने का दृश्य देखते ही बनता है। वर्षा का मौसम गर्मी से झुलसते जीवों को शांति एवं राहत पहुँचता है और लोगों का मन आनंदित कर देता है।

शरद ऋतु- वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु का आगमन होता है। इस ऋतु को ‘ठंड’ का एवं ‘पतझड़’ का मौसम भी कहा जाता है। इस समय वायु की आर्द्रता इतनी अधिक बढ़ जाती है कि लोगों को असहनीय उमस का सामना करना पड़ता है। भारत में यह स्थिति ‘क्वार की उमस’ या ‘अक्टूबर की गर्मी’ के रूप में भी जानी जाती है।

यह ऋतु एक तरह से शीतकाल की शुरुआत होती है। इस दौरान दिन छोटे और रातें लंबी होना शुरू हो जाती है। शरद ऋतु में पत्ता गोभी, सेम, मटर, आलू, गाजर, मूली, लौकी जैसी कई तरह की सब्जियां आने लगती है जिसका सेवन कर लोग अपनी सेहत बनाते हैं। गुड़ और गन्ने शरद ऋतु की ही देन है जिसे खाकर शरीर में गर्मी पैदा होती है।

इस ऋतु की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, इस ऋतु में भूख अधिक लगती है और जो भी खाया जाता है वह जल्दी पच जाता है। इसीलिए इस ऋतु को ‘शक्ति संचयन’ का काल भी माना जाता है।

शरद ऋतु में कीटाणुओं का प्रकोप कम हो जाता है। ठंड की वजह से मच्छर भी मर जाते हैं और मक्खियों की संख्या भी घट जाती है। इस मौसम में लोग ज्यादातर स्वस्थ ही रहते हैं, संक्रामक बीमारियों का असर भी कम रहता है। शारदीय नवरात्र, विजयादशमी जैसे बड़े त्योहार शरद ऋतु में ही मनाए जाते हैं।

हेमंत ऋतु- हेमंत ऋतु शरद और शीत के बीच की ऋतु है। शरद पूर्णिमा से हेमंत ऋतु की शुरुआत होती है। इस ऋतु में सर्दी अपने अंतिम चरम पर होती है, दिन और रात का तापमान इस ऋतु में काफी निचले स्तर पर पहुँच जाता है। हेमंत ऋतु में शरीर प्रायः स्वस्थ रहता है। पाचन शक्ति बढ़ जाती है।

हेमंत ऋतु में पृथ्वी की सूर्य से दूरी अधिक हो जाने के कारण तापमान में लगातार कमी होने लगती है। माहौल में धीरे-धीरे ठंडक घुलने लगती है। आयुर्वेद में इस ऋतु को स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा बताया गया है। इस ऋतु में शरीर को खाने-पीने से भरपूर ऊर्जा मिलती है और प्रतिरक्षा शक्ति भी उत्तम बनी रहती है। व्यायाम के साथ इस ऋतु में सभी रसों का सेवन भी किया जा सकता है। इस ऋतु को ‘खिले फूलों’ और ‘मीठे फलों’ की ऋतु भी कहा जाता है।

इस ऋतु में कई शुभ तिथि और त्यौहार भी आते हैं। बारह मासों में से तीन मास कार्तिक, अगहन और पौष हेमंत ऋतु में आते हैं। कार्तिक मास में करवा चौथ, धनतेरस, रूप चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे बड़े त्योहार आते हैं। इस मास की पूर्णिमा का भी अपना एक अलग ही महत्व होता है।

शीत ऋतु- शीत या शिशिर ऋतु वर्ष की एक ऋतु है, जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः निम्न रहता है।
शीत ऋतु को दो भागों में बाँटा गया है- हल्के गुलाबी जाड़े को ‘हेमंत ऋतु’ का नाम दिया गया है तथा तीव्र और तीखे जाड़े को ‘शीत’।

भारत में शीत ऋतु सबसे महत्वपूर्ण ऋतु है। शीत ऋतु स्वास्थ्य का निर्माण करने की ऋतु है। इस ऋतु में पाचन शक्ति प्रबल होती है, लोग आराम से भोजन कर पाते हैं। इसलिए लोग इस मौसम में अधिक ऊर्जावान और क्रियाशील भी महसूस करते हैं। इस मौसम में दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं।

शीत ऋतु गर्म भोजन, फल, मिठाई व अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों की ऋतु होती है। इस ऋतु में अन्य ऋतुओं की अपेक्षा अधिक चाय पी जाती है। इस ऋतु में अन्य ऋतुओं की अपेक्षा हरी सब्जियां भी अधिक आती हैं।

शीत ऋतु में त्योहारों का बहुत महत्व होता है। इस ऋतु में उत्तर भारत में 14 जनवरी को लोहड़ी और मकर सक्रांति मनाई जाती है तथा दिसंबर में ईसाईयों द्वारा क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस और बसंत पंचमी का त्योहार भी शीत ऋतु के दौरान ही आता है। शीत ऋतु में ही स्वास्थ्यवर्धक और पसंदीदा फलों जैसे- संतरा, अमरुद, चीकू, पपीता, आंवला, गाजर, अंगूर आदि को देखा जा सकता है।

पृथ्वी की परिक्रमा के फलस्वरूप ऋतुओं में परिवर्तन देखा जाता है। प्रत्येक ऋतु एक-दूसरे से भिन्न हैं लेकिन फिर भी वो प्रकृति पर अपना प्रभाव डालने का सामर्थ्य रखती हैं।

रक्षा पंड्या

 

 

 

bharat ki rituye aur unka mahatav

Written By
टीम द हिन्दी

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