शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024
Close
Home-Banner आंगन जनता दरबार

हमारे वृक्ष और वनस्पतियां

हमारे वृक्ष और वनस्पतियां
  • PublishedFebruary , 2024

भगवान ने जब सृष्टि की रचना की तो सर्वप्रथम पेड़ पौधों और वनस्पतियों को बनाया ताकि उसका बच्चा जो संसार में आएगा इन वनस्पतियों के द्वारा अपना जीवन यापन कर सके। वनस्पतियों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है, यह जीवन दायिनी संजीवनी है। महाभारत काल में तो एक वृक्ष लगाने को सौ पुण्य कर्मों से ज्यादा फलदाई माना जाता था। वास्तव में यह पेड़ पौधे त्रिदेवों की तरह काम करते हैं । ब्रह्मा की तरह सृष्टि किए सौंदर्य की रचना करते हैं, विष्णु की तरह जगत का पालन करते हैं और महादेव की तरह विष पीने का निरंतर कार्य ये वृक्ष न कर रहे होते तो हर व्यक्ति रोग शैय्या पकड़ लेता। विज्ञान भी को इस बात को स्वीकारता है।

मानव अस्तित्व पौधों पर आधारित है। जैसे मां कच्चे अन्न को पका कर बच्चों को देती है, वैसे ही पौधे सौर ऊर्जा को आत्मसात करते हैं फिर उसे उपयोगी बनाकर वातावरण में बिखेर देते हैं। आजकल फैक्ट्री के कारण शहरीकरण, नहर, सड़कों के कारण जंगल काटे जा रहे हैं इस वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ रही है जो हमारे जीवनी शक्ति के लिए घातक है। इसके लिए सरकार तो वृक्षों की कटाई पर प्रतिबंध लगा ही रही है। हमें भी अत्यधिक वृक्ष लगाकर ऑक्सीजन का प्रतिशत बढ़कर इकोलॉजी बैलेंस बनाना है क्योंकि यह पौधे ही हैं जो संतुलन बनाकर सृष्टि पर उपकार करते हैं। न्यूयॉर्क, टोक्यो में ऐसे स्थान है जहां सांस लेने में ही कष्ट होता है। यह विष प्राणी मात्र के लिए 40 सिगरेट पीने जैसा नुकसानदायक हो सकता है। अगर यह वृक्ष न हो तो पागलपन की मात्रा इतनी बढ़ सकती है कि उन्हें संभालना कठिन हो जाए। रिसर्च से सिद्ध हो चुका है कि साधारण घास भी रेडिएशन से हमारी रक्षा करती है।

अतः पृथ्वी पर हरितिमा वृद्धि, वृक्षारोपण अभियान को नैतिक कर्तव्य के रूप में पूरा किया जाना चाहिए। शहरों में लान, पार्क के कारण मनुष्य सांस ले सकता है ।किसी भी रूप में वृक्षों के प्रति श्रद्धा व्यक्त किया बिना हमारा कार्य नहीं चल सकता। कहीं भी पौधों में, गमले में लकड़ी की पेटियों में फल सब्जियां या फूल उगा कर हम दोहरे लाभ की व्यवस्था कर सकते हैं ।पिछले दिनों में एक भारतीय इंजीनियर जो कि लंदन में रहता था, चंडीगढ़ में आकर गरीब बच्चों को पेटियों में बाल्टियों में और यहां तक की सीमेंट की बोरियों में फल सब्जी उगाने का काम सिखाया ।ऐसा ही अभियान की हमारी पृथ्वी की जरूरत है ताकि प्रदूषण जैसी समस्या से निपटा जा सके।

हिंदू लोग तो आदिकाल से वृक्षों को किसी न किसी रूप में पूजते रहे हैं। पीपल ,बड़, तुलसी इत्यादि ये पौधे प्राण दायिनी वायु तो देते ही हैं साथ में विभिन्न फल, सब्जियों के माध्यम से हमें जीवन देने का पूरा प्रयास करते हैं यह पौधे हमारे प्रश्वास को अपनी श्वास और अपनी प्रश्वास को हमारी श्वास बनाकर जो संतुलन बना रहे हैं उसीपर हमारे पृथ्वी टिकी हुई है। जीवन पर्यंत यह पौधे फल, फूल तो देते ही हैं पर मरने के बाद भी ईंधन के काम आते हैं ।यह वनस्पति हमारी निश्चय बहुत बहुमूल्य संपदा है और इस संपदा को सुरक्षित रखना हमारे नैतिक कर्तव्य है।

 

   लेखक- रजनी गुप्ता

(यह लेखक के निजी विचार है। द हिन्दी नए लेखकों को एक मंच प्रदान करता है)

और पढ़ें-

राम मंदिर स्मारक सिक्के जारी, जानें कैसे पा सकते हैं इन्हें

सदियों से इस्तेमाल में आने वाले गुलकंद के हैं कई फायदे, जानिए विस्तार से

भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में क्या है खास ? जानें विस्तार से

 

Written By
रजनी गुप्ता

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *